नई दिल्ली: दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी एडमिशन का दौर शुरु हो चुका है. हर साल की तरह इस साल भी अभिभावकों को अपने बच्चों के दाखिले के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. क्योंकि स्कूलों और दिल्ली सरकार के बीच एडमिशन गाइडलाइंस को लेकर जंग चल रही.


आखिर साल भर क्या करती है दिल्ली सरकार: कोर्ट


स्कूलों की अर्ज़ी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार आखिर साल भर क्या करती है, क्यों एडमिशन से ठीक पहले गाइडलाइंस बनायी जाती हैं. कोर्ट ने कहा, '' एडमिशन शुरू होने से पहले ही सरकार क्यों जागती है, पहले ही गाइडलाइंस क्यों नहीं बनती, सरकार और स्कूलों की लड़ाई में बच्चों और उनके अभिभावकों को परेशान होना पड़ता है, खामियाज़ा बच्चे और उनके माता-पिता क्यों भुगतें?''


पिछले 10 सालों से कोर्ट तक पहुंच जाता है नर्सरी में दाखिले काम मुद्दा


दिल्ली सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर 298 निजी स्कूलों से कहा था कि वो उन गाइडलाइंस का पालन करे जो दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन में बतायी गयी हैं. ये वो स्कूल थे जिनको सरकारी दर पर यानि की सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध करायी गयी थी. पिछले 10 सालों से नर्सरी एडमिशन का मुद्दा लगातार कोर्ट तक जाता है. कोर्ट आदेश देती है दाखिले होते हैं और फिर अगले साल नर्सरी एडमिशन को लेकर एक नया मुद्दा सामने आ जाता है.


जानें क्या है दिल्ली सरकार का नोटिफिकेशन


दिल्ली सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा था कि स्कूल पहले उन बच्चों को दाखिला दें जो स्कूल से 1 किमी के दायरे में रहते हैं. उसके बाद अगर सीट बचती हैं तो 3 किमी के दायरे में रहने वाले बच्चे को दाखिला दें. और फिर अगर सीटे खाली रहती हैं तो 3 से 6 किमी के अंदर रहने वाले बच्चो को दाखिला दें और अगर उसके बाद भी सीटें खाली रह जाती हैं तो 6 किमी से ज़्यादा दूरी पर रहने वाले बच्चों को दाखिला दें.


स्कूल सीटों की संख्या को सार्वजनिक करें: दिल्ली सरकार


दिल्ली सरकार के अनुसार जिन बच्चो के भाई बहन पहले से ही उस स्कूल में पढ़ रहे हैं और वो 1 किमी के दायरे में आते हैं, उनको दाखिले में पहली प्राथमिकता दी जाए. सभी स्कूलों को बताना होगा की उनके पास कुल कितनी सीटें है, कितनी आरक्षित है, और किस वर्ग के लिये कितनी सीटें हैं. माइनॉरिटी स्कूल माइनॉरिटी वर्ग से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए कुछ सीटें आरक्षित कर सकते हैं पर उसके बारे में भी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी.

नर्सरी एडमिशन का मुद्दा एक बार कोर्ट तक पहुंच गया है और इसका मतलब साफ है कि जब तक अब अदालत इस मुद्दे पर कोई आदेश जारी नहीं करती तब तक दाखिलों पर संशय के बादल मंडराते रहेंगे.