रिटायर हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, कई बड़े फैसलों के लिए किए जाएंगे याद
Supreme Court Chief Justice NV Ramana: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना शुक्रवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए. आइये जानते हैं कि आखिर क्यों जस्टिस रमना कई बड़े फैसलों के लिए याद किये जाएंगे.
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NV Ramana Retirement: देश के 48 वें चीफ जस्टिस नुतालापति वेंकट रमना आज अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए. जस्टिस रमना का सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में कार्यकाल 8 साल से अधिक का रहा. चीफ जस्टिस के पद पर वह लगभग 16 महीने तक रहे. सौम्य स्वभाव के जस्टिस रमना की पहचान कड़े फैसले लेने वाले एक जज के रूप में रही। उन्होंने पेगासस जासूसी मामले में सरकार की आपत्ति के बावजूद जांच के लिए कमेटी बनाई। उनकी अध्यक्षता वाली बेंच की सख्ती के बाद लखीमपुर मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई।
भरे जजों के खाली पद
चीफ जस्टिस रहते वह सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों को भरने के लिए भी काफी सक्रिय रहे। उनकी कोशिशों के चलते 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में एक साथ 9 जजों ने शपथ ली।
छात्र राजनीति भी की
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस रमना ने किशोर आयु में ही तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लिया। वह कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे और कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। फरवरी 1983 में वकालत शुरू करने वाले रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहे। वह केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रहे। 2000 में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी जज बने। 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
राजद्रोह कानून पर कड़ा फैसला
11 मई 2022 को चीफ जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजद्रोह कानून यानी आईपीसी की धारा 124A को सुप्रीम कोर्ट ने निष्प्रभावी बना दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार का यह अनुरोध तो मान लिया कि उसे कानून की समीक्षा करने का समय दिया जाए, लेकिन साथ ही यह भी कह दिया कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज न हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्यवाही रोक दी जाए।
सरकार को नापसंद फैसले लिए
24 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने एन वी रमना ने कई ऐसे फैसले लिए जो सरकार को रास नहीं आए। पेगासस मामले में सरकार ने पहले जांच का विरोध किया, बाद में अपनी तरफ से कमेटी बनाने की पेशकश की। लेकिन जस्टिस रमना के नेतृत्व वाली बेंच ने अपनी तरफ से कमेटी बनाई। बतौर चीफ जस्टिस उनकी सख्ती के चलते लखीमपुर में किसानों की गाड़ी से कुचलकर मौत के मामले में आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई। हाल ही में उन्होंने यह फैसला दिया कि बेनामी एक्ट 2016 के प्रावधान पुराने मामलों पर लागू नहीं हो सकते।
जनप्रतिनिधियों के मुकदमे में तेजी
चीफ जस्टिस बनने से पहले भी जस्टिस रमना सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फैसलों के हिस्सा रहे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का आदेश दिया। सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं।
निर्भया केस में अहम फैसला
जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी। इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था। 26 नवंबर 2019 को जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र के की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। इसके बाद फड़णवीस सरकार गिर गई थी।
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