चेन्नई: जयललिता के निधन के बाद अब तीसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने ओ पन्नीरसेल्वम के सामने सबसे बड़ी चुनौती अन्नाद्रमुक को एक साथ जोड़कर रखने की है. करिश्माई व्यक्तित्व वाली पार्टी सुप्रीमो जयललिता की गैरमौजूदगी में अन्नाद्रमुक पार्टी अब अपने आप को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रही है.


चायवाले से नेता बने 65 वर्षीय पन्नीरसेल्वम अपने साथियों के बीच ‘ओपीएस’ के नाम से लोकप्रिय हैं और वह दिवंगत जयललिता के वफादार सहयोगी रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में जयललिता को दोषी करार दिए जाने पर वह ‘‘मेन फ्राइडे’’ की भूमिका निभाते हुए दो बार राज्य की कमान संभाल चुके हैं.


जयललिता के निधन के कुछ ही समय बाद पन्नीरसेल्वम ने सोमवार की देर रात एक बजकर 15 मिनट पर राजभवन में बेहद दुखी मन से शपथ ली. उन्हें राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने शपथ दिलाई. शोकाकुल माहौल में पन्नीरसेल्वम ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब उनकी जेब में जयललिता की तस्वीर रखी थी.


जयललिता को देवी के समान मानने वाले पन्नीरसेल्वम उनके प्रति समर्पण भाव रखते थे, उनकी हर बात मानते थे और उनके लिए रोते थे. उनके आदेशों का पालन पूरी निष्ठा के साथ करने वाले पन्नीरसेल्वम ने नौकरशाहों के साथ समन्वय करते हुए खुद को एक परिपक्व नेता और नेतृत्वकर्ता साबित किया.


उनके इन गुणों के चलते ही उन्हें जयललिता की गैरमौजूदगी में सितंबर 2011 और सितंबर 2014 में कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया था.