OBC List: राजनीतिक तौर पर अहम 105वां संविधान संशोधन विधेयक आज लोकसभा से पारित हो गया. अब बिल को राज्यसभा में पारित करवाया जाएगा. लोकसभा में इस बिल के ख़िलाफ़ एक भी वोट नहीं पड़ा लिहाज़ा ये सर्वसम्मति से पारित हो गया. बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े.
ऐसा कम ही होता है जब संसद में किसी बिल के ख़िलाफ़ एक भी वोट न पड़े. पेगासस और कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही में लगातार हंगामा करती आई विपक्षी पार्टियों ने पहले ही बिल के समर्थन का ऐलान कर दिया था . जाहिर है इस बिल के राजनीतिक परिणामों को देखते हुए कोई भी पार्टी इसके विरोध करने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी .
हालांकि बिल पर चर्चा के दौरान सरकार और विरोधियों के बीच ज़ोरदार बहस भी हुई . जहां सरकार की ओर से बोलते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ बीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ओबीसी के हितों को ध्यान में रखते हुए ये बिल लेकर आई है तो विपक्ष की ओर से बोलते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से कहा कि इस बिल को लाने की नौबत भी सरकार की गलतियों के चलते ही आई है . चौधरी ने आरोप लगाया कि 2018 में राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा देने के क्रम में सरकार ने ही राज्यों से अपना ओबीसी लिस्ट बनाने का अधिकार छीन लिया था .
बिल पर चर्चा के दौरान आरक्षण की सीमा पर लगी 50 फ़ीसदी पाबंदी को ख़त्म करने की भी मांग उठी . शिवसेना की ओर से बोलते हुए विनायक राउत ने सरकार से आरक्षण की सीमा पर लगी 50 फ़ीसदी की पाबंदी हटाने की मांग की . बिल पर वोटिंग के दौरान उन्होंने इससे जुड़ा एक संशोधन भी पेश किया लेकिन उसे खारिज कर दिया गया .
वहीं बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए जेडीयू सांसद ललन सिंह ने एक बार फिर जातीय जनगणना करवाए जाने की मांग की. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार 2021 की जनगणना के साथ-साथ जातीय जनगणना करवाए जाने की भी मांग कर रहे हैं. पहले इस बिल को 127 वां संविधान संशोधन का नाम दिया गया था लेकिन बाद में इसे बदलकर 105 वां संविधान संशोधन विधेयक कर दिया गया .