Maharashtra: महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट के बिना आरक्षण निकाय चुनाव कराने के आदेश पर पुर्नविचार याचिका दायर करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से बातचीत करेंगे. यह बातचीत एससी के निकाय चुनावों पर उसके इस निर्णय के बाद होने जा रही है जिसमें उसने मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में दो सप्ताह के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं.
वहीं इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम चौहान ने कहा कि बीजेपी और बीजेपी सरकार सदैव से यह प्रयास करती रही है कि समाज के हर वर्ग को न्याय मिले. बीजेपी का सदा से नारा रहा है कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ. इसलिए हमने सदैव प्रयास किया कि ओबीसी को भी उनका अधिकार मिले.
क्या बोले सीएम शिवराज सिंह चौहान ?
मध्यप्रदेश में पाप कांग्रेस ने किया, पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ता कोर्ट में गये और उसके बाद यह स्थिति आई. सीएम शिवराज ने कहा कि आज हम अपनी पूरी टीम के साथ विधिवेत्ताओं और विधि विशेषज्ञों से मिले. इसके साथ ही हमने प्रमुख रूप से सॉलिसिटर जनरल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के साथ बैठे और सभी पक्षों के साथ हमने चर्चा की और हम लगातार इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं.
वहीं महाराष्ट्र के एक कैबिनेट मंत्री ने बुधवार को जानकारी दी कि राज्य चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया है कि वार्डों के परिसीमन और मतदाता सूची को अंतिम रूप देने वाली चुनाव पूर्व प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर तक पूरी हो जाएगी. मंत्री ने कहा कि तब तक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पूरी हो जाएगी.
हम उस रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय में जमा करेंगे. सीएम उद्धव ठाकरे शिवराज सिंह चौहान से मध्य प्रदेश द्वारा इस संबंध में उठाए जा रहे कदमों पर बात करेंगे. दोनों नेता ओबीसी आरक्षण को बहाल करने के लिए सामूहिक रूप से क्या किया जा सकता है इस पर भी चर्चा करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने ओबीस आरक्षण को लेकर क्या आदेश दिया है ?
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में पंचायत और शहरी निकाय चुनाव तुरंत करवाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जिन निकायों के चुनाव लंबित हैं, राज्य चुनाव आयोग 2 हफ्ते में उनके चुनाव की अधिसूचना जारी करे. कोर्ट ने साफ किया है कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. कोर्ट ने यह भी कहा है कि सीटों के नए सिरे से परिसीमन को आधार बना कर चुनाव को नहीं टाला जा सकता.
देश के कितने राज्यों पर लागू होता है ये चुनाव ?
4 मई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के लिए भी ऐसा ही आदेश दिया था. जस्टिस एएम खानविलकर, अभय एस ओका और सीटी रविकुमार की बेंच ने साफ किया है कि निकाय चुनाव न टालने के आदेश सिर्फ महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश के लिए नहीं है, ये बाकी राज्यों पर भी लागू है. खाली हो रही सीटों पर 5 साल में चुनाव करवाना संवैधानिक ज़रूरत है. इसे किसी भी वजह से टाला नहीं जाना चाहिए.