OBC Reservation: ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) ने राज्य में भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को लेकर एक बड़ा एलान किया है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजद ने निर्णय लिया है कि, राज्य में भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में पार्टी 27 प्रतिशत उम्मीदवार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग से मैदान में उतारेगी. पार्टी अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों से इसकी शुरुआत करेगी.
ओडिशा सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री राणेंद्र प्रताप साई और उच्च शिक्षा एवं कृषि मंत्री अरुण साहू ने एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में अपनी पार्टी के इस निर्णय की जानकारी दी. बता दें कि, ये दोनों ही मंत्री ओबीसी वर्ग से आते हैं. साहू ने संवाददाताओं से कहा, "बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी समुदाय से 27 फीसदी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया है." साथ ही उन्होंने कहा कि, "राज्य के अन्य राजनीतिक दलों को भी सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देने की हिम्मत दिखनी चाहिए."
राणेंद्र प्रताप साई ने बताया ओडिशा के लोगों के लिए एतिहासिक दिन
मंत्री राणेंद्र प्रताप साई ने कहा कि, "ओडिशा के लोगों के लिए ये एतिहासिक दिन है. राज्य की बीजद सरकार ने भविष्य के सभी चुनाव में अपनी पार्टी के 27 प्रतिशत टिकट सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े ओबीसी वर्ग के लिए रिजर्व करने का निर्णय लिया है. अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों से इसकी शुरुआत हो जाएगी. इसके साथ ही बीजेडी देश की ऐसी पहली पार्टी होगी जो चुनावों में ओबीसी वर्ग के लिए अपनी सीटें आरक्षित करेगी."
ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे बीजद सांसद
बता दें कि कुछ दिन पहले ही बीजद सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला था. प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपते हुए ओडिशा में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के लिए कानून लाने की मांग उठाई थी. बीजद के अमित शाह को ज्ञापन सौंपने के बाद पार्टी का यह निर्णय सामने आया है जिसका पार्टी को पंचायत चुनावों में रणनीतिक फायदा मिल सकता है.
ओडिशा ने 2013 और 2017 में भी दिया था ओबीसी आरक्षण
बता दें कि ओडिशा ने साल 2013 में राज्य के नगर निगम चुनावों और 2017 के त्रीस्तरीय पंचायत चुनावों में भी 27 प्रतिशत सीटों पर ओबीसी आरक्षण दिया था. इसके चलते यहां चुनावों में आरक्षण का कोटा लगभग 65 प्रतिशत तक पहुंच गया था. उड़ीसा हाई कोर्ट ने इस संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पार्टियों को निर्देश दिया था कि, राज्य के चुनावों में आरक्षण का कोटा 50 प्रतिशत की लिमिट से ऊपर नहीं जाना चाहिए.
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