नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लागू ऑड इवन योजना पर कल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. कोर्ट ने सोमवार को प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए इस योजना पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि सिर्फ कुछ कारों को रोककर वह क्या हासिल करना चाहती है. जो कार नहीं निकाल पा रहे, वे टेक्सी, ऑटो या दोपहिया वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में सरकार आंकड़ों के साथ योजना का औचित्य समझाए. इस बीच नोएडा के एक वकील ने भी योजना को मनमाना और लोगों के रोजगार के मौलिक अधिकार को बाधित करने वाला बताते हुए याचिका दायर कर दी है. दोनों पर एक साथ सुनवाई होगी.


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जाहिर है कि दिल्ली में ये योजना 4 नवंबर से 15 नवंबर तक लागू की गई है. ये योजना सुबह आठ बजे लेकर रात के आठ बजे तक, सप्ताह में सोमवार से शनिवार तक लागू की गई है. इसके तहत सम अंक वाले तारीख को ईवन नंबर की गाड़ियां और विषम अंक वाले तारीख को ऑड नंबर की गाड़ियां ही चलाई जा सकती हैं. इस नियम का उल्लंघन करने पर 4000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. जिन गाड़ियों में सिर्फ महिलाएं होंगी उन्हें छूट मिली है. इसके अलावा जिन गाड़ियों में महिला और स्कूल ड्रेस में बच्चे होंगे उसे भी ऑड-ईवन से छूट दिया जा रहा है. बाहर के राज्यों से दिल्ली आने वाली गाड़ियों पर भी ये योजना लागू है.


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दिल्ली की केजरीवाल सरकार का दावा कर रही है कि ये योजना सफल साबित हुई है और लोग इसका पालन कर रहे हैं. इस बीच आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुरू नानक जयंती के अवसर पर 11 और 12 नवंबर को ऑड-ईवन से राहत देने पर शुक्रवार तक फैसला कर लिया जाएगा. बता दें कि बुधवार को आप विधायक जरनैल सिंह के साथ एक सिख डेलिगेशन ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से मुलाकात की थी और गुरू नानक जयंती के मौके पर इस योजना से राहत देने की अपील की थी. इसपर मंत्री ने कहा था कि केजरीवाल सरकार इस पर सकारात्मक रूप से विचार कर रही है.


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