नई दिल्ली: ओड़िशा के अंगुल जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई जो इंसानियत को शर्मशार करने वाली है. जिसमें गति ढीबर नाम का शख्स इस उम्मीद से शहर आया था कि बच्ची को बेहतर इलाज मिल जाएगा लेकिन वो उसे बचा नहीं सका. इलाज में सारी जमापूंजी गंवाने के बाद पैसे नहीं बचे और फिर ये शख्स अपनी पत्नी और दूसरे बच्चे के साथ पैदल ही बेटी का शव उठाकर गांव के लिए पैदल ही 15 किलोमीटर चल पड़ा.



इस शख्स को उस सरकारी अस्पताल ने भी मदद नहीं दी जहां उसकी बेटी ने दम तोड़ा. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने भी आंखें मूंद लीं, जो महाप्रयाण नाम की उस योजना की पीठ थपथपाती है, जिसके तहत गरीबों को शव लाने-ले जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस दी जाती है. यह घटना साबित करती है कि आज भी गरीबी से बड़ी कोई जलालत नहीं है. बीच शहर से गुजरते वक्त लोग आते जाते रहे, गाड़ियां गुजरती रहीं और हर एक ने उसे अनदेखा कर दिया .


यह घटना याद दिलाती है दाना मांझी नाम के शख्स की जिसने पैसे की कमी की वजह से अपनी पत्नी का शव कंधे पर रखकर 10 किलोमीटर पैदल चल पड़ा है. यह घटना भी ओड़िशा की ही थी. जहां राज्य सरकार तमाम तरह के दावे करती है कि समाज में हाशिए पर खड़े लोगों के मदद के लिए वह प्रतिबद्ध है वहीं इस तरह की घटनाएं कई सवाल खड़े करती है.