Odisha New CM Oath Ceremony: ओडिशा के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार (10 जून) को ओडिशा में शपथ ग्रहण समारोह शाम 6 बजे से शुरू होगा. बताया जा रहा है कि इस बार शपथ ग्रहण समारोह राजभवन की जगह खुले मैदान में होगा. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे.


ओडिशा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को प्रचंड जीत मिली है. बीजेपी ने 5 बार के मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक को सत्ता से बाहर किया है. 147 सीट वाली ओडिशा विधानसभा में बीजेपी को 78 सीटें मिलीं हैं. दूसरी तरफ बीजेडी को 51 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस ने 14 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. राज्य में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा भी तेज हो गई है. हालांकि बीजेपी की तरफ से अभी सीएम फेस की घोषणा नहीं  हुई है. इस रेस में कई नेता शामिल हैं.


धर्मेंद्र प्रधान सबसे बड़े दावेदार


धर्मेंद्र प्रधान केंद्रीय शिक्षा मंत्री हैं और वह ओडिशा के संबलपुर से सांसद भी हैं. ओडिशा अस्मिता अभियान की अगुवाई उन्होंने ही की थी. वह 10 साल तक केंद्र में मंत्री रहे हैं. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय संभाला था. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर साल 2000 में विधायक के तौर पर शुरू किया था. 2004 में वह ओडिशा के देवगढ़ से सांसद बने. हालांकि 2009 में वह पल्लाहारा से विधानसभा चुनाव हार गए. उसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद बने. बिहार, ओडिशा, झारखंड, उत्तराखंड और कर्नाटक में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. ओडिशा की मिट्टी के इस लाल का नाम सीएम पद की रेस में आगे चल रहा है.


लक्ष्मण बाग भी बने हैं रेस में


लक्ष्मण बाग वह नेता हैं, जिन्होंने ओडिशा के पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को ही हरा दिया. उन्होंने बोलांगीर जिले की कांटाबांजी विधानसभा सीट पर जीकक हासिल की है. पटनायक को हराने के बाद लक्ष्मण बाग रातोंरात पड़ा नाम बन गए हैं. लक्ष्मण बाग ओडिशा के एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने तिहाड़ी मजदूरी और ट्रक पर खलासी के तौर पर काम कर अपना जीवन बिताया. बाद में उन्होंने अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया. फिर उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने का सोचा. साल 2014 के चुनाव में वह तीसरे नंबर पर थे. 2019 में वह कांग्रेस उम्मीदवार से महज 128 वोटों के अंतर से हार गए. लेकिन 2024 के चुनाव में उन्होंने नया कीर्तिमान रच दिया. उन्होंने मजदूरों के पलायन को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया. अब वह सीएम पद की रेस में हैं.


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