(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
2023 में 9 लाख लाभार्थियों को मिलेगा मुफ्त चावल- ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की घोषणा, 185 करोड़ रुपये आएगा खर्च
Odisha News: 2008 में पहली बार शुरू की गई चावल वितरण योजना को बीजेडी की लगातार चुनावी सफलताओं के पीछे एक प्रमुख कारक माना जाता है.
Odisha CM Naveen Patnaik Announcement: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार (3 जनवरी) को घोषणा की कि राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (SFSS) के अंतर्गत करीब 9 लाख लाभार्थियों को पूरे वर्ष मुफ्त चावल दिया जाएगा. राज्य सरकार 2023 में हर महीने 5 किलो चावल प्रति व्यक्ति मुहैया कराएगी.
इससे पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के पात्र लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न देने की घोषणा कुछ दिनों पहले की जा चुकी है. इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सीएम पटनायक की घोषणा के अमल में राज्य की बीजेडी (BJD) सरकार 185 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
एनएफएसए से बाहर रह गए पात्र लाभार्थियों दिया जाता है चावल
बीजेडी सरकार ने अक्टूबर 2018 में राज्य खाद्य सुरक्षा योजना शुरू की थी. जिसके तहत एनएफएसए से बाहर रह गए पात्र लाभार्थियों को हर महीने 5 किलो चावल प्रति व्यक्ति 1 रुपये प्रति किलो की दर से वितरित किया जाता है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत इसी तरह की सुविधाएं देने के केंद्र के फैसले के सामान महामारी के दौरान पिछले 28 महीनों में राज्य में लाभार्थियों को अतिरिक्त चावल और दालें भी प्रदान की गई हैं.
चावल वितरण योजना है बीजेडी का जीत मंत्र
इसके अलावा प्रत्येक लाभार्थी परिवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (SFSS) के तहत दो बार 1,000 रुपये नकद प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई. पहली बार 2008 में शुरू की गई चावल वितरण योजना को बीजेडी (BJD) की लगातार चुनावी सफलताओं के पीछे एक प्रमुख कारक माना जाता है. नवीन पटनायक ने 2008 में 2 रुपये प्रति किलो चावल की पेशकश करते हुए योजना शुरू की थी, जिसे बाद में, 2013 में 1 रुपये प्रति किलो कर दिया गया.
चावल के आवंटन में केंद्र सरकार बड़ा योगदान रहा
बीजेडी की संभावनाओं में सेंध लगाने के लिए दो मुख्य विपक्षी दल बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने लोगों तक इस संदेश के साथ पहुंचने के लिए विशेष अभियान चलाए कि 'केंद्र ने चावल के आवंटन में बड़ा हिस्सा लिया जबकि राज्य सरकार का योगदान न के बराबर था.'
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