Coromandel Train Accident: 'किसी ने खिड़की से कूदकर बचाई जान तो कोई हिल भी नहीं पाया', ओडिशा रेल हादसे में जिंदा बचे लोगों ने बताया आंखों देखा हाल
Odisha Train Accident: ओडिशा रेल एक्सीडेंट में जीवित बचे लोगों ने बताया कि सब कुछ इतना जल्द हुआ कि कुछ सोचने का मौका नहीं मिला.
Odisha Train Accident: ओडिशा रेल एक्सीडेंट में जीवित बचे लोगों ने आंखों देखा मंजर शनिवार (3 जून) को बयां किया. दक्षिण भारत में कई महीने काम करने के बाद अपने परिवार के पास लौट रहे 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में सवार कई यात्रियों ने अचानक तेज आवाज सुनी, जिसके बाद वे अपनी सीट से गिर पड़े और बत्ती गुल हो गई. वे हावड़ा में अपने गंतव्य से सिर्फ पांच घंटे की दूरी पर थे तभी वे जिस ट्रेन से यात्रा कर रहे थे, वह ओडिशा के बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई.
ट्रेन शुक्रवार (2 जून) को अपने निर्धारित समय से तीन घंटे से कुछ अधिक देरी से चल रही थी और करीब 20 किलोमीटर दूर अपने अगले पड़ाव बालासोर की ओर बढ़ रही थी, तभी शाम करीब सात बजे यह दुर्घटना हो गई. पश्चिम बंगाल के बर्धमान के रहने वाले मिजान उल हक ट्रेन के पिछले हिस्से के एक डिब्बे में थे. कर्नाटक से लौट रहे हक ने कहा, ‘‘ट्रेन तेज गति से दौड़ रही थी. शाम करीब 7 बजे तेज आवाज सुनाई दी और सबकुछ हिलने लगा. बोगी के अंदर बिजली गुल होते ही मैं ऊपर की सीट से फर्श पर गिर पड़ा. उन्होंने कहा कि किसी तरह वह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे.
हक ने हावड़ा स्टेशन पर से कहा कि यह बेहद दुखद था कि कई लोग बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बे के पास पड़े हुए थे. उत्तरी हावड़ा के पुलिस उपायुक्त अनुपम सिंह ने कहा कि 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के अप्रभावित 17 डिब्बों में सवार 635 यात्री शनिवार (3 जून) दोपहर एक बजे हावड़ा पहुंचे, जिनमें से 40 से 50 लोगों का इलाज किया गया.
कैसे जान बचाई?
सिंह ने कहा कि उनमें से पांच यात्रियों को आगे के इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया, जबकि अन्य अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए. कोलकाता की यात्रा के लिए आने वाली बेंगलुरु की निवासी रेखा ने कहा कि वह पटरी से उतरे डिब्बों के आगे वाले डिब्बे में सवार थीं.
उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में पूरी तरह अफरातफरी थी. हम डर के मारे अपने डिब्बे से उतर गए और पास के खेतों में अंधेरे में बैठे रहे, जब तक कि तड़के हमारी ट्रेन हावड़ा के लिए रवाना नहीं हो गई.'' बर्धमान के निवासी और बेंगलुरू में बढ़ई के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति बताया कि जिस बोगी में वह यात्रा कर रहा था, वह पलट जाने से उसकी छाती, पैर और सिर में चोट लगी. उसने कहा, ‘‘हमें खुद को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़कर डिब्बे से बाहर कूदना पड़ा. दुर्घटना के बाद हमने कई लाशें पड़ी देखीं.
'चौंकाने वाला था'
मुर्शिदाबाद के रहने वाले इम्ताजुल खान ने कहा कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने कई लोगों को मरते हुए देखा. खान ने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला था, मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी इस भयानक घटना के प्रभाव से उबर पाऊंगा. ’’ मालदा जिले के मशरिक उल काम की तलाश में चेन्नई जा रहे थे, लेकिन इस ट्रेन दुर्घटना में उनकी मौत हो गई.
मशरिक उल (23) दुर्घटना की शिकार हुई शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे. शुक्रवार रात हादसे की खबर मिलने के बाद से ही उनके परिवार में चिंता का माहौल था. चंचल ब्लॉक के धनगरा गांव स्थित अपने घर में मशरिक उल की मां ने रोते हुए कहा, ‘‘हमें रात करीब नौ बजे पता चला कि जिस ट्रेन में मशरिक उल यात्रा कर रहे थे वह पटरी से उतर गई है. हमने उनके साथ यात्रा कर रहे लोगों को फोन करना शुरू किया, तब हमें उनकी मौत होने के बारे में पता चला. ’’ परिवार के एकमात्र कमाने वाले मशरिक उल के परिवार में माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं.