33 बार घोंपा चाकू, मर्डरर पति को मौत की सजा सुनाते हुए भावुक हुआ कोर्ट, कहा- डोरेमोन-छोटा भीम देखने की उम्र में बच्ची को मां...
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के दूसरी बेटी को जन्म देने के कारण दोषी ने अपनी पत्नी की हत्या की और यही कारण था कि उसने पहली बेटी की भी हत्या करने की कोशिश की.
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर की एक कोर्ट ने दो साल पहले अपनी पत्नी की चाकू घोंपकर हत्या करने के लिए पति को मौत की सजा सुनाई है. शख्स ने उस समय अपनी छह साल की बेटी कोभी गला रेतकर मारने की कोशिश की थी. अपराधी संजीत दास ने 33 बार अपनी पत्नी की बॉडी में चाकू घोंपा था. कोर्ट फैसला सुनाते हुए भावुक हो गया और कहा कि बच्ची इस उम्र में कार्टून देखती, लेकिन उसे आंखों के सामने मां की बेरहमी से हत्या देखनी पड़ी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपराधी संजीत दास 9 जून, 2022 को इस घटना को अंजाम दिया था. उसकी पत्नी एक अस्पताल में हेड नर्स के तौर पर काम करती थी और हत्या से कुछ दिन पहले ही उसने एक और बेटी को जन्म दिया था. अभियोजन पक्ष ने बताया कि उसने भुवनेश्वर के घाटिकिया इलाके में अपने घर पर पत्नी सरस्वती की 33 बार चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, संजीत दास ने अपनी पहली बेटी का भी गला रेत दिया था, लेकिन वह बच गई. संजीत को घटना के अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया गया था और फिर अक्टूबर, 2022 में उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था. भुवनेश्वर की द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बंदना कार की कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को फैसला सुनाते हुए इस अपराध को दुर्लभतम श्रेणी में रखा और कहा, 'ऐेसे में दोषी के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए... इसलिए यह अदालत दोषी को मौत की सजा सुनाती है.'
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के दूसरी बेटी को जन्म देने के कारण दोषी ने अपनी पत्नी की हत्या की और यही कारण था कि उसने पहली बेटी की भी हत्या करने की कोशिश की. कोर्ट ने कहा कि ऐसे दुर्लभतम अपराध के लिए मृत्युदंड देना अन्य लोगों को हतोत्साहित करेगा, जो इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बारे में सोचते हैं.
जज ने संजीत दास को आजीवन कारावास की भी सजा सुनाई है. दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी, बशर्ते की दोषी की सजा में संशोधन न हो, उसकी सजा बदलकर हल्की न कर दी जाए या सजा की अवधि न घटा दी जाए या माफी न दी जाए. कोर्ट ने छह साल की बच्ची को लगे आघात पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'वह बच्ची, जिसे भारतीय कानून की व्यवस्था फिल्मों में भी ऐसी भयावहता देखने की अनुमति नहीं देती है, उसे अपनी आंखों के सामने यह सब होते हुए देखना पड़ा.'
कोर्ट ने कहा, 'गर्व से वंदे मातरम गाने वाली छह साल की छोटी बच्ची के पिता ने ही उसका गला रेतने की कोशिश की. वह बच्ची जो शायद कार्टून छोटा भीम और डोरेमोन देखने का आनंद लेती होगी, उसे अपने ही पिता द्वारा मां की जघन्य हत्या देखनी पड़ी.' कोर्ट ने कहा, 'हम उस बच्ची की गहन पीड़ा को नजरअंदाज नहीं कर सकते. वह घर जो उसके लिए एक सुरक्षित आश्रय था, लेकिन अब अकल्पनीय भयावहता का दृश्य बन गया है, जिसने उसकी सुरक्षा और विश्वास की भावना को चकनाचूर कर दिया है.' कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मृतक की नाबालिग बेटियों के लिए मुआवजे पर विचार करने के लिए फैसले की एक प्रति खुर्दा के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलए) को उपलब्ध कराई जाए.
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