भुवनेश्वर: ओडिशा में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. पार्टी के दो बड़े नेताओं दिलीप राय और विजय महापात्र ने इस्तीफ़ा दे दिया है. दोनों ने अपना त्याग पत्र बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दिया है. राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राय और महापात्र के पार्टी छोड़ने से सब हैरान हैं. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ साथ होते हैं. पिछले 15 सालों से यहां नवीन पटनायक की सरकार है. बीजेपी छोड़ने वाले दोनों नेता पहले पटनायक के साथ बीजू जनता दल में ही थे. खबर है कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से नाराज होकर दोनों ने बीजेपी का साथ छोड़ा है.


पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप राय की गिनती ओडिशा के बड़े नेताओं में होती है. वे राउरकेला से बीजेपी के विधायक थे. पार्टी छोड़ने के साथ ही उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को भी अपना त्याग पत्र दे दिया है. बीजेपी से पहले वे कुछ सालों तक कांग्रेस में रहे, लेकिन राय का मन वहां नहीं लगा. कांग्रेस से पहले वे बीजू जनता दल में थे. बीजू पटनायक के निधन के बाद ये पार्टी बनी थी.


नवीन पटनायक और विजय महापात्र के साथ मिल कर दिलीप राय ने 1997 में इस पार्टी की नींव रखी थी. वे दो बार राज्य सभा के सांसद भी रह चुके हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भेजे इस्तीफ़े में दिलीप राय ने लिखा है कि कुछ लोग उन्हें नीचा दिखाने में लगे थे. उनका आरोप है कि लगातार उनका अपमान किया जा रहा था. राउरकेला में एक सुपर स्पेशिलीटी अस्पताल खोलने का वादा किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राउरकेला से ही दिलीप राय पिछली बार विधायक चुने गए थे. उनके बीजेपी छोड़ देने से केन्द्रीय मंत्री ज़ोएल ओराम की जीत मुश्किल हो सकती है. वे सुंदरगढ से लोकसभा का चुनाव जीते थे. बड़ी मुश्किल से बीजेडी के दिलीप टिर्की को 18 हज़ार वोटों से हरा पाए थे. तब दिलीप राय उनके साथ थे. लेकिन राय के बीजेपी छोड़ देने से ओराम की धड़कनें बढ़ गई हैं.


दिलीप राय ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से शिकायत की है कि बिना जनाधार वाले नेताओं की ही पार्टी में पूछ थी. उनका इशारा केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तरफ है. प्रधान राज्य सभा के सांसद हैं और ओडिशा में पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता भी हैं. बीजेपी छोड़ने वाले दूसरे नेता विजय महापात्र भी प्रधान से ही परेशान थे. एबीपी न्यूज़ से उन्होंने कहा कि कई महीनों से वे पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे. उनकी मानें तो बार बार उनका अपमान किया गया. महापात्र बताते हैं कि उन्होंने इस बात की शिकायत पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह समेत कई बड़े नेताओं से की, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी.


एक वक़्त था जब विजय महापात्र की गिनती ओडिशा के टॉप पांच नेताओं में होती थी. बीजू जनता दल के शुरूआती दिनों में वे नवीन पटनायक से भी ताकतवर नेता हुआ करते थे. वे बीजू पटनायक की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. लेकिन बीजेडी में वर्चस्व को लेकर महापात्र की पटनायक से नहीं बनी और उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी. बाद में उन्होंने नई पार्टी बनाई लेकिन नाकामयाब रहे.


हाल के महीनों में पीएम नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कई बार ओडिशा का दौरा किया. कुछ महीनों पहले ये भी ख़बर आई थी कि मोदी वाराणसी के साथ साथ ओडिशा के पुरी से भी लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. अपनी सरकार के चार साल पूरे होने पर मोदी ने कटक में ही जनसभा की थी. राजधानी भुवनेश्वर में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हुई थी. मोदी ने तपती दोपहरी में रोड शो भी किया था. अमित शाह भी ओडिशा जाते रहते है. बीजेपी का दावा है कि इस पार राज्य में बीजेपी की सरकार बन जायेगी. ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. पिछली बार बीजेपी के खाते में बस एक ही सीट आई थी. अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी अधिक से अधिक सीटें जीतने के जुगाड़ में थीं. लेकिन दिलीप राय और विजय महापात्र के पार्टी छोड़ने से नुक़सान होना तय है. वैसे भी नवीन पटनायक ओडिशा में अब भी सबसे मज़बूत ताक़त बने हुए हैं.