Assassinated Indian Political Leaders List: ओडिशा (Odisha) के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास (Naba Kishore Das) की रविवार (29 जनवरी) को गोली मारकर हत्या कर दी गई. झारसुगुड़ा जिले के ब्रजराजनगर में एक जन शिकायत केंद्र के उद्घाटन के मौके पर पहुंचे नब दास पर कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी गोपाल दास ने गोलियां बरसा दीं. इसके बाद गंभीर हालत में मंत्री को एयर लिफ्ट कर राजधानी भुवनेश्वर स्थित अपोलो अस्पताल में लाया गया. यहां उनका ऑपरेशन किया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी. मंत्री के निधन से परिवार समेत ओडिशा सरकार को गहरा सदमा लगा है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा है कि वह स्तब्ध और व्यथित हैं. उन्होंने मंत्री के निधन को राज्य के लिए सबसे बड़ा नुकसान बताया है और कहा है कि नब दास राज्य सरकार और बीजू जनता दल के लिए संपत्ति के समान थे. नब दास के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनीतिक हस्तियों ने गहरी शोक संवेदना जताई है और प्रतिक्रियाएं लगातार आ रही हैं. 


नब दास के निधन के रूप में देश ने एक बार फिर राजनीतिक हत्या का मामला देखा है. विगत वर्षों में देश ने कई राजनीतिक हत्याएं देखी हैं. जनप्रतिनिधि के दुनिया से जाने से उनके परिवार को तो नुकसान होता ही है, साथ ही जनता के लिए काम करने वाला उनका सेवक भी दुनिया से रुख्सत हो जाता है. यह ऐसा नुकसान होता है जिसकी भरपाई कभी नहीं होती. पिछले वर्षों में किन बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने जानलेवा हमलों में अपनी जानें गंवा दीं, आइये डालते हैं एक नजर.


सिद्धू मूसेवाला


पिछले साल (29 मई 2022) पंजाबी सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की पंजाब के मानसा के जवाहरके गांव में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी. उन पर करीब 30 गोलियां दागी गई थीं. सिद्धू मूसेवाला की हत्या का आरोप कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग पर है. जानकारी के मुताबिक, कनाडा से अपना गैंग ऑपरेट करने वाले गोल्डी बराड़ ने कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई के कहने पर सिद्धू मूसेवाला की हत्या कराई थी. मामले में 36 लोग नामजद हैं. सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह फिलहाल न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.


कमलेश तिवारी


कमलेश तिवारी एक नेता और हिंदू समाज पार्टी के संस्थापक थे. 2017 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी. कमलेश तिवारी पर मोहम्मद पैंगबर के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था. विवाद बढ़ने पर तिवारी को गिरफ्तार भी किया गया लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया था. 18 अक्टूबर 2019 को तिवारी लखनऊ स्थित अपने कार्यालय में थे, तभी भगवा कुर्ता पहने हुए दो लोग- फरीद-उद-दीन शेख और अशफाक शेख मिठाई का डिब्बा देने उन्हें पहुंचे. इस दौरान तिवारी का एक सहयोगी सिगरेट लाने के लिए गया हुआ था. जब वह लौटा तो देखा कि तिवारी का गला रेता गया था. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मिठाई के डिब्बे पर गुजरात के सूरत की एक मिठाई का दुकान का पता लिखा था. डिब्बे में रिवॉल्वर और चाकू बरामद हुआ था. 


गोविंद पंसारे


16 फरवरी 2015 को सीपीआई नेता गोविंद पंसारे और उनकी पत्नी उमा अपनी सोसाइटी में जब मॉर्निंग वॉक पर निकले थे तब बाइक सवार दो लोगों ने उन पर गोलियां बरसा दीं. पंसारे और उनकी पत्नी जख्मी हो गए. दोनों को महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित एस्टर आधार अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी पत्नी कोमा में चली गईं. 20 फरवरी 2015 को पंसारे को ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी को 4 मार्च 2015 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. मोबाइल मरम्मत की दुकान चलाने वाले सनातन संस्था समूह के एक सदस्य समीर गायकवाड़ समेत पांच लोगों पर पंसारे की हत्या का आरोप लगा था. 


प्रमोद महाजन


22 अप्रैल 2006 की सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता प्रमोद महाजन को अलग रह रहे उनके छोटे भाई प्रवीण ने मुंबई के एक अपार्टमेंट में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से गोली मार दी थी. उन पर चार गोलियां चलाई गई थीं. गंभीर रूप से जख्मी महाजन को हिंदुजा अस्पताल भर्ती कराया गया था. 13 दिनों तक वह मौत से जूझते रहे. 3 मई 2016 को कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई थी. गोली चलाने वाले प्रवीण महाजन ने पुलिस को सरेंडर कर दिया था. उसने अपने भाई पर उसे अपमानित करने और हक न देने का आरोप लगाया था. 18 दिसंबर 2007 को प्रवीण को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 3 मार्च 2010 को पैरोल की अवधि के दौरान ब्रेन हैमरेज के चलते प्रवीण की मौत हो गई थी.


कृष्णानंद राय


29 नवंबर 2005 को बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की उनके पैतृक गांव में एक पारिवारिक शादी समारोह से लौटते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हमलावरों ने घात लगाकर रास्ते में उन पर हमला किया था. वारदात में कुल सात लोग मारे गए थे. कृष्णानंद की हत्या का आरोप बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी और अफजल अंसारी समेत आठ लोगों पर लगा था. अंसारी पर हत्या के लिए आदेश देने का आरोप लगा था. हत्या में कथित रूप से शामिल एक व्यक्ति अफरोज उर्फ चुन्नू पहलवान को जून 2014 में गिरफ्तार किया गया था.


हरेन पंड्या 


26 मार्च 2003 को गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री हीरेन पंड्या की अहमदाबाद के लॉ गार्डन इलाके में हत्या कर दी गई थी. वारदात को अंजाम तब दिया गया जब वह सुबह की सैर पर निकले थे. उनका शव कार में मिला था. बताया गया था कि दो घंटे तक उनका शव कार में ही पड़ा रहा था. 2007 में विशेष पोटा अदालत ने मामले में हैदराबाद के मुख्य आरोपी असगर अली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि सात अन्य को आजीवन कारावास, दो को 10 साल की कैद और एक को पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. मामले में वीएचपी नेता जगदीश तिवारी पर हत्या के प्रयास का आरोप लगा था. 29 अगस्त 2011 को सभी 12 दोषियों को गुजरात हाई कोर्ट ने हत्या के आरोप से बरी कर दिया था लेकिन आपराधिक साजिश और हत्या के प्रयास सहित अन्य आरोपों को बरकरार रखा था. जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था और 12 लोगों को हरेन पांड्या की हत्या का दोषी ठहराया था.


फूलन देवी


दस्यु सुंदरी से संसद तक का सफर करने वाली समाजवादी पार्टी नेता फूलन देवी पर 25 जुलाई 2001 को दिल्ली के अशोक रोड पर तीन हमलावरों ने गोलियां बरसाई थीं. फूलन देवी को नौ गोलियां मारी गई थी और उनके बॉडी गार्ड दो गोली लगी थीं. फूलन देवी को लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. मामले में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था. वारदात के कुछ दिनों बाद शेर सिंह राणा नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. आरोपी ने कहा था कि उसने बेहमई नरसंहार का बदला लिया था. राणा 2004 में तिहाड़ जेल से भाग गया था और दो साल बाद फिर से पकड़ा गया. अगस्त 2014 में, राणा को हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा हुई और अन्य दस आरोपियों को बरी कर दिया गया था. अक्टूबर 2016 को राणा को जमानत दे दी गई थी. 2018 में, फूलन देवी की बहन मुन्नी ने दावा किया कि राणा को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था जबकि उमेद सिंह के कहने पर देवी की हत्या की गई थी.


बेअंत सिंह


31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की चंडीगढ़ स्थित सचिवालय परिसर में एक आत्मघाती बम धमाके में हत्या कर दी गई थी. धमाके में 3 भारतीय कमांडो समेत 17 अन्य लोगों की जानें भी चली गई थीं. कथित तौर पर एक खालिस्तानी आतंकी ने आत्मघाती धमाका किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बब्बर खालसा इंटरनेशनल के दिलावर सिंह बब्बर ने आत्मघाती हमलावर के रूप में काम किया था. धमाके का मास्टरमाइंड जगतार सिंह उर्फ ​​तारा बताया गया था. बलवंत सिंह राजोआना नाम के आरोपी को भी दोषी ठहराया गया था. मामले में 19 फरवरी 1996 को चंडीगढ़ की सत्र अदालत ने तीन एनआरआई भगोड़ों सहित 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. 28 मार्च 2012 को राजोआना की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी. 7 जनवरी 2015 को जगतार सिंह उर्फ ​​तारा को बैंकॉक में गिरफ्तार किया गया था. 


महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को देश ने खोया


राजनीतिक हस्तियों की हत्याओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है. देश ने ऐसी हत्याओं में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व पीएम राजीव गांधी समेत न जाने कितनी हस्तियों को खोया है. 


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