Odisha CM Mohan Manjhi: 24 सालों बाद ओडिशा में सत्ता बदलने वाली बीजेपी ने राज्य में मोहन चरण माझी को नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है. ओडिशा के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कई भूमिकाएं निभाई हैं, जिसमें किसान, आरएसएस के स्कूल में टीचर, सरपंच, आदिवासी अधिकारों के पैरोकार और खनन माफिया के खिलाफ खड़े होकर सामने आए.
टीओई की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 बार के क्योंझर विधानसभा सीट से विधायक मोहन चरण मांझी, जो भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ अपनी संथाल जड़ें साझा करते हैं. बीजेपी के इस फैसले को आदिवासी राज्य झारखंड में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही रणनीतिक चुनाव माना जा रहा है.
सरपंच से मुख्यमंत्री तक का सफऱ
क्योंझर सदर क्षेत्र के रायकला में पले-बढ़े मोहन चरण माझी ने एक छात्र के तौर पर अपने समुदाय के लिए कुछ करने के लिए कम उम्र में ही प्रतिभा दिखाई. उन्होंने कानून की पढ़ाई की और कुछ समय तक आरएसएस के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पढ़ाया, उसके बाद 1997 से 2000 तक एक निर्वाचित सरपंच के रूप में राजनीति में आए और वे पहली बार विधायक बने. इसके बाद ही बीजेपी के आदिवासी मोर्चा के सचिव के तौर पर माझी ने अपनी रफ्तार पकड़ी और 2019 में पार्टी के मुख्य सचेतक बनने के लिए पार्टी में अपनी जगह बनाई.
खुले में सोने के दौरान भावी CM का चोरी हुआ था फोन
इससे पहले मोहन चरण माझी ने साल 2005 से 2009 तक उप मुख्य सचेतक के रूप में भी काम किया था, जब बीजेपी बीजेडी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल थी. 2004 में अपनी आखिरी चुनावी जीत के एक दशक बाद 2019 में क्योंझर विधायक के रूप में अपनी वापसी पर, माझी ने तब सुर्खियां बटोरीं थी. उस दौरान मांझी ने विधानसभा में सरकारी क्वार्टर के आवंटन में देरी के कारण फुटपाथ पर कई रातें बिताने के लिए मजबूर होने के बारे में बात की थी.
मोहन चरण माझी ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एस एन पात्रो को बताया कि वह कम समय में घर किराए पर नहीं ले सकते और जब वह खुले में सो रहे थे, तभी उनका मोबाइल फोन चोरी हो गया था.
मुख्यमंत्री के लिए घर की तलाश में जुटा प्रशासन
फिलहाल, ओडिशा सरकार का प्रशासन विभाग अब भावी मुख्यमंत्री के लिए घर की तलाश कर रहा है. चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पिछले 24 सालों से भुवनेश्वर में अपने निजी आवास में रह रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री के लिए बंगले की आवश्यकता कभी महसूस नहीं हुई.
पिछले साल स्पीकर ने किया था सस्पेंड
मोहन चरण माझी का विवादों से एकमात्र सामना पिछले साल सितंबर में हुआ था, जब पूर्व स्पीकर प्रमिला मलिक ने कथित तौर पर मिड-डे स्कूल मील के लिए दाल खरीद घोटाले के विरोध में दलित विधायक मुकेश महालिंग के साथ उन्हें निलंबित कर दिया था. हालांकि, मांझी ने अपने ऊपर लगें आरोप का विरोध किया था.