OBC Surveyi In Odisha: देशभर में जाति आधारित जनगणना की मांग के परिणामस्वरूप ओडिशा सरकार ने 208 पिछड़ी जातियों के लोगों की सामाजिक और शैक्षिक स्थितियों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है. यह राज्य में पिछड़ी जातियों का पहला सर्वेक्षण है जिसमें यह देखा जाएगा कि वे कैसे घरों में रहते हैं, क्या काम करते हैं, किन स्कूलों में पढ़ते हैं और बाजारों, अस्पतालों से कॉलेजों तक उनकी किस हद तक पहुंच है. 


1 मई से शुरू हुआ ये सर्वेक्षण 27 मई तक चलेगा जिसके जरिए पिछड़े वर्गों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का पता लगाने की कोशिश की जाएगी ताकि उनके लिए जरूरी योजनाएं बनाई जा सकें. राज्य मंत्री जगन्नाथ सरकार ने एक बयान देते हुए कहा, 'इसका उद्देश्य पिछड़े वर्गों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का पता लगाना है, यह उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए केंद्रित योजना के लिए महत्वपूर्ण है. सर्वेक्षण डेटा हमें ओबीसी के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद करेगा.'


सुरथ बिस्वाल ने उठाए सर्वे पर सवाल
ओडिशा में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और इससे पहले ओडिशा सरकार के इस सर्वेक्षण को लेकर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी के राज्य ओबीसी सेल के प्रमुख सुरथ बिस्वाल ने कहा कि जो लोग राज्य के बाहर काम करते हैं उनमें से कुछ को सर्वेक्षण में शमिल नहीं किया जाएगा. इसकी वजह जनगणना के लिए बनाए गए पोर्टल की जानकारी न होना है जिसमें सर्वे में शामिल लोग लॉग इन करके अपना विवरण भरेंगे.


सुरथ बिस्वाल ने सरकार की खामियों का विवरण देते हुए कहा कि कई जातियों को भी एसईबीसी लिस्ट से बाहर किया गया है. ये वे जातियां है जो केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में तो शामिल हैं, लेकिन राज्य एसईबीसी सूची में नहीं जोड़ी गई हैं. उनका कहना है कि इन जातियों को खुद ही राज्य की ओबीसी सूची में शामिल हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में बिस्वाल ने सरकार को घेरते हुए सवाल किया कि यह किस तरह का सर्वे हो रहा है.


जाति को आधार बनाकर सत्ता में लौटने की कोशिश?
वहीं बीजेपी कायकर्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक साल 2000 से सत्ता में हैं. उन्होंने महिलाओं का वोट बैंक हासिल किया जो कि अब काम नहीं आने वाला है. राज्य में जो बेरोजगारी है उसे देखते हुए को पार्टी अगले चुनावों में सत्ता में वापसी नहीं कर सकती. ऐसे में जाति को आधार बनाकर वे सत्ता में लौट सकते हैं.


राजनीतिक पर्यवेक्षक रबी दास की मानें तो सर्वेक्षण से यह साफ हो जाएगा कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी कितनी है. सर्वे के दौरान स्व-सहायता समूहों, संवैधानिक पदों, व्यवसायों आदि में प्रतिनिधित्व से संबंधित सवाल किए जाएंगें. 


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