नई दिल्ली: अब 15 दिनों तक पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे. भगवान अब बीमार हो गए हैं. उन्हें बुखार हो गया है. वैद्यों ने जिन्हें हम डॉक्टर कहते हैं वे सब भगवान के इलाज में जुट गए हैं. जगन्नाथ जी, उनके बड़े भाई बलभद्र जी और बहन सुभद्रा जी बुखार से तप रहे हैं. आज तीनों भाई बहन का पुरी मंदिर में शाही स्नान हुआ जिसे जलाभिषेक कहते हैं. जगन्नाथ जी को मंदिर के छत पर बने स्नान मंडप में लाया जाता है. इसके बाद 108 पीतल के मटकों से भगवान के परिवार को नहलाया गया.
स्नान के लिए पानी मंदिर में ही बने गोल्डन कुआं से लाया जाता है. इस मौके पर मंदिर के सिंह द्धार पर भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है. कहते हैं नहाते हुए जगन्नाथ जी के दर्शन से सारे पाप धुल जाते हैं. ओडिशा में इस दिन को देवस्नान पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ के भक्तों में इस दिन का विशेष महत्व है.
भगवान जगन्नाथ अब 13 जुलाई तक बीमार रहेंगे. इस दौरान ना तो उनकी पूजा होती है. न ही लोग उनके दर्शन कर सकते हैं. सिर्फ उनके सेवक जिन्हे शैवायत कहते हैं, वही भगवान से मिल सकते हैं. कई वैद्य मिलकर उन्हें तरह तरह की दवा देते हैं. जगन्नाथ जी का लगातार इलाज चलता रहता है. इस दौरान मंदिर के गर्भ गृह का दरवाजा बंद रहता है.
मंदिर के एक छोटे से कमरे में भगवान का इलाज होता रहता है. जिसे रतन वेदी कहते हैं. जैसे हम और आप बीमारी में कुछ ख़ास चीजें ही खाते हैं. जगन्नाथ जी के साथ भी ऐसा ही होता है. पंद्रह दिन बीमार रहने के बाद रथयात्रा से ठीक एक दिन पहले वे स्वस्थ हो जाते है. उन्हें वापस गर्भ गृह में लाया जाता है. 14 जुलाई को पुरी में रथयात्रा है.
इस दिन जगन्नाथ जी रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने मंदिर से बाहर निकलते हैं. आम तौर पर तो हम भगवान के दर्शन करने मंदिर जाते हैं. लेकिन जगन्नाथ जी खुद दर्शन देने बाहर निकलते हैं. वे अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर गुंडीचा मंदिर जाते हैं. इसे ही रथयात्रा कहते हैं. इस मौके पर देश दुनिया से लाखों भक्त पुरी पहुंचते हैं.