BJP-TMC on Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर दीघा में भी जगन्नाथ मंदिर बनाने को लेकर पश्चिम बंगाल में भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच तकरार शुरू हो गई है. पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और इसकी नकल करना स्वीकार नहीं है.
सुवेंदु अधिकारी ने तर्क दिया कि धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि वह पुरी से पुजारियों को लाएंगे और तृणमूल सरकार की कार्रवाइयों को उजागर करने के लिए कोलकाता से लगभग 180 किलोमीटर दूर दीघा में एक धार्मिक सभा आयोजित करेंगे. अधिकारी ने यह भी कहा कि दीघा में बनाया जा रहा ढांचा केवल एक सांस्कृतिक केंद्र है और पुरी मंदिर की नकल नहीं है.
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास भी शामिल थे
बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मंदिर का उद्घाटन 30 अप्रैल, 2025 को अक्षय तृतीया के अवसर पर होगा. वह मंदिर की समीक्षा करने के लिए वहां गईं. इस मौके पर उनके साथ इस्कॉन के अधिकारी भी थे, जिनमें इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास भी शामिल थे. दास को मंदिर प्रबंधन समिति में शामिल किया गया है. तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, "पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रसिद्ध है, लेकिन यह मंदिर अलग और अनूठा होगा. मंदिर को विभिन्न खंडों में विभाजित किया जाएगा. पुरी के विपरीत, जहां खाजा चढ़ाया जाता है, इस मंदिर में गुजिया और पेड़ा दिए जाएंगे."
बंगाल सरकार ने मंदिर के लिए 250 करोड़ रुपये किए आवंटित
बंगाल सरकार ने इस योजना के लिए करीब 250 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. समुद्र तट के पास 20 एकड़ जमीन पर बन रहा यह मंदिर ओडिशा सीमा के करीब है. समीक्षा के दौरान ममता बनर्जी ने मंदिर की औपचारिक स्वर्ण झाड़ू के लिए 5 लाख रुपये दान करने की घोषणा की. पुरी में वार्षिक रथ यात्रा से पहले देवताओं के रथों को साफ करने के लिए झाड़ू का उपयोग किया जाता है.
राधारमण दास की मौजूदगी को लेकर बोले सुवेंदू अधिकारी
वहीं इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास की साइट पर मौजूदगी को लेकर सुवेंदू अधिकारी ने आलोचना की. उन्होंने सवाल उठाया कि इस्कॉन के अधिकारी ने पुरी मंदिर की प्रतिकृति का विरोध क्यों नहीं किया.
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