Odisha Train Tragedy: ओडिशा के बालासोर में हुए सदी के सबसे बड़े रेल हादसे ने 278 जिंदगियां छीन लीं. 1100 से ज्यादा लोग इसमें घायल हुए. रेल इतिहास के भीषणतम हादसे में शामिल हो चुके इस हादसे के 8 दिन पहले ही रेलवे बोर्ड ने रेलवे में सुरक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति को आश्वस्त किया था कि उनके 'सेफ्टी फर्स्ट और सेफ्टी ऑलवेज' के रवैये के चलते ट्रेन एक्सीडेंट में काफी गिरावट आई है. 


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति को रेलवे बोर्ड ने बताया था कि 2010-11 में जहां 141 ट्रेन हादसे हुए थे, वहीं 2022-23 में यह घटकर सिर्फ 48 हो गया. इस दौरान रेलवे बोर्ड ने संसदीय समिति को समझाया था कि कैसे रेलवे ने हादसों को रोकने के लिए इंतजाम किया है, लेकिन इसके ठीक 8 दिन बाद हुए भय़ंकर हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.


रेलवे बोर्ड ने दिया था सुरक्षा का भरोसा


शिव सेना सांसद धैर्यशील माने संसद की समिति के सदस्य हैं. उन्होंने एचटी को बताया कि यह प्रेजेंटेशन इस बारे में था कि एक्सीडेंट को कैसे रोका जाए. अधिकारियों ने शानदार प्रेजेंटेशन दिया, लेकिन उन्होंने जो दिखाया वो सही था, तो कैसे इतना बड़ा हादसा हो गया.


25 मई को दिए गए इस प्रेजेंटेशन में स्थायी समिति के 31 में से 21 सदस्य शामिल हुए थे. 75 मिनट के इस प्रेजेंटेशन में अधिकारियों ने बताया था कि कैसे सिग्नलिंग और एंटी कोलाइजन सिस्टम के साथ ही डिरेलमेंट को रोकने के लिए तमाम उपाय अपनाए गए हैं.


हादसे की चल रही सीबीआई जांच


ओडिशा रेल हादसे की जांच सरकार ने सीबीआई को सौंप दी है. दरअसल, शुरुआती जांच मे इस बात में इस बात की तरफ संकेत मिले हैं कि इस हादसे के पीछे किसी प्रकार की साजिश भी हो सकती है, हालांकि इस बारे में अंतिम निष्कर्ष जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भी दिया जा सकेगा. रेलवे को शुरुआती जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि पटरियों की इंटरलॉकिंग सिस्टम में जानबूझ कर छेड़छाड़ की गई हो सकती है.


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