Coromandel Express Derailment Inquiry: ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की टक्कर के पीछे क्या कोई बड़ी साजिश थी. क्या किसी ने जानबूझ पटरियों से छेड़छाड़ की जिससे 275 बेगुनाहों की जान चली गई? ये सवाल अब और गंभीर हो चला है. इस मामले में जो ताजा खुलासा हुआ है वो इसी तरफ इशारा कर रहा है. रेलवे को शुुरुआती जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि पटरियों की इंटरलॉकिंग सिस्टम में जानबूझ कर छेड़छाड़ की गई थी. इसी वजह से रेलवे ने दुर्घटना की जांच सीबीआई से करवाने का फैसला किया है.


रेलवे के उच्च अधिकारियों का कहना है कि बालासोर ट्रेन दुर्घटना के पीछे इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. उनके मुताबिक रेलवे की प्रारंभिक जांच में इस बात के सुराग मिले हैं कि इसमें जानबूझकर छेड़छाड़ की गई हो और इसलिए ये महसूस किया गया कि इसकी जांच किसी पेशेवर जांच एजेंसी से करवाई जाए.


हादसा या साजिश?


अधिकारियों के मुताबिक रेलवे का इंटरलॉकिंग सिस्टम काफी सुरक्षित होता है और इसमें गड़बड़ी की गुंजाइश न के बराबर होती है. उनका कहना है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि जब तक जानबूझकर कोई छेड़छाड़ नहीं करे तब तक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव नहीं किया जा सकता है. 


रेलवे अधिकारियों के इन खुलासों से एक बार फिर ये सवाल उठ रहा है कि बालासोर की दुर्घटना कोई हादसा नहीं बल्कि साजिश हो सकती है. अधिकारियों ने कहा कि दुर्घटना की जांच में इस पहलू की भी प्रमुखता से जांच की जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई की जांच इसलिए करवाई जा रही है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम में मानवीय हस्तक्षेप के पीछे मकसद का पता लगाया जा सके . 



सीबीआई ने शुरू की जांच


पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई की 10 सदस्यीय टीम ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना स्थल का सोमवार को दौरा किया और अपनी जांच शुरू की. रेलवे के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. खुर्दा रोड मंडल के डीआरएम आर रॉय ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार सीबीआई जांच शुरू हो गई है लेकिन विस्तृत विवरण अभी उपलब्ध नहीं है. रेलवे बोर्ड ने रविवार को हादसे की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.


विपक्ष के आरोपों पर सरकार की सफाई


उधर. सरकार के सूत्रों ने CAG की रिपोर्ट को आधार बनाकर विपक्ष की ओर से किए जा रहे हमलों को निराधार बताते हुए दावा किया है कि सुरक्षा समेत रेलवे की तमाम जरूरतों के लिए सरकार की ओर से पैसों की कोई कमी नहीं की गई है. सूत्रों ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि रेलवे की सुरक्षा के तहत रेल पटरियों के नवीनीकरण पर यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने करीब ढाई गुना ज़्यादा पैसे खर्च किए हैं. 


सूत्रों ने बताया कि यूपीए सरकार के दस साल के दौरान जहां रेलवे का कुल बजट 1.64 लाख करोड़ रहा, वहीं मोदी सरकार में बढ़कर 8.26 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया . इसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजटीय प्रावधान भी शामिल है. 2023-24 में रेलवे का बजटीय अनुमान 2.24 लाख करोड़ रुपए का है. 


पटरियों के नवीनीकरण पर भी ज्यादा खर्च


अगर रेल पटरियों के नवीनीकरण की बात करें तो जहां यूपीए सरकार के दौरान करीब 47 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए गए वहीं मोदी सरकार में 2023-24 के अंत तक 1.09 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. अधिकारियों ने बताया कि 2017 में राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया गया जिसके तहत 2022 तक रेलवे में सुरक्षा संबंधित कामों पर एक लाख करोड़ खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था और उससे ज़्यादा खर्च किया भी गया. इस कोष का कार्यकाल अब पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया है. 


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