Odisha Train Accident: सिग्नल में गड़बड़ी, पटरी से नहीं उतरी मालगाड़ी... ओडिशा रेल हादसे की वजह पर सामने आई ये 10 बड़ी बातें
Coromandel Express Derail: ये भीषण ट्रेन हादसा ओडिशा के बालासोर जिले में हुआ था. तब कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस हादसे की चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी.
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Coromandel Train Accident: ओडिशा के बालासोर (Balasore) जिले में हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 275 लोगों की जान जा चुकी है. सैकड़ों यात्री इस दुर्घटना में घायल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है. हादसे से प्रभावित हुई पटरियों की सामान्य सेवाओं की बहाली के लिए तेज गति से मरम्मत का काम भी चल रहा है. भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने रविवार (4 जून) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस हादसे की वजह और अन्य पहलुओं की जानकारी दी. जानिए इस पीसी की बड़ी बातें.
1. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सबूतों से छेड़छाड़ न हो और कोई भी गवाह प्रभावित न हो. गंभीर रूप से घायल हुए ट्रेन के चालक ने कहा कि 'ग्रीन' सिग्नल मिलने के बाद ही ट्रेन आगे बढ़ी.
2. जया वर्मा ने आगे कहा कि न तो उसने कोई सिग्नल जंप किया और न ही ट्रेन ओवरस्पीडिंग कर रही थी. एनआईए नहीं, गृह मंत्रालय हमारी मदद कर रहा है. शाम के करीब 8 बजे तक 2 लाइनें हमें मिल जाएंगी, जिस पर गाड़ी धीमी गति से निकलनी शुरू हो जाएंगी.
3. हादसे की वजह को लेकर रेलवे के संचालन व्यवसाय विकास की सदस्य जया वर्मा ने कहा कि पूछताछ चल रही है, हम सभी एंगल से जांच कर रहे हैं. प्रथम दृष्टया लगता है कि सिग्नल के कारण कोई समस्या हुई होगी, लेकिन हम अभी तक कुछ भी प्रमाणित नहीं कर सकते हैं.
4. जया वर्मा ने कहा कि कवच भारत में बनाया गया सिस्टम है. आने वाले भविष्य में हम इसका निर्यात भी कर सकेंगे. ये रेल की सुरक्षा से संबंधित है इसलिए हमने इसकी कड़ी टेस्टिंग की है. रेल मंत्री ने खुद ट्रेन में बैठ कर इसकी जांच की है. इस यंत्र को सभी लाइनों और ट्रेनों में लगाने में समय और पैसा लगेगा.
5. उन्होंने बताया कि रेलवे ने हादसे के बाद सबसे पहले राहत और बचाव कार्य किया उसके बाद मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. बहानागा स्टेशन पर 4 लाइनें हैं. इसमें 2 मेन लाइन हैं. लूप लाइन पर एक मालगाड़ी थी. स्टेशन पर ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिली थी. दोनों गाड़ियां अपनी पूरे गति पर चल रही थीं. प्रारंभिक जांच में लग रहा है कि सिग्नल में गड़बड़ी हुई है. घटना की चपेट में सिर्फ कोरोमंडल आई थी.
6. रेलवे बोर्ड की सदस्य ने कहा कि हमारा हेल्पलाइन नंबर 139 उपलब्ध है. ये कोई कॉल सेंटर नंबर नहीं है, हमारे वरिष्ठ अधिकारी कॉल का जवाब दे रहे हैं और हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. घायल या मृतक के परिवार के सदस्य हमें फोन कर सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वे उनसे मिल सकें. हम उनकी यात्रा और अन्य खर्चों का ध्यान रखेंगे.
7. हादसे को लेकर उन्होंने आगे बताया कि मालगाड़ी पटरी से नहीं उतरी थी. चूंकि मालगाड़ी लोहे का सामान ले जा रही थी, इसलिए सबसे ज्यादा नुकसान कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ. यही बड़ी संख्या में हुए मौतों और चोटों का कारण है.
8. उन्होंने कहा कि कोरोमंडल की गति लगभग 128 किमी/घंटा थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस की पटरी से उतरी बोगियां डाउन लाइन पर आ गईं और यशवंतपुर एक्सप्रेस की आखिरी दो बोगियों से टकरा गईं, जो डाउन लाइन 126 किमी / घंटा की गति से पार कर रही थी.
9. इस हादसे को लेकर रविवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि ट्रेन हादसे की वजह रेलवे सिग्नल के लिए अहम 'प्वाइंट मशीन' और 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग' प्रणाली से संबंधित है. इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में किए गए बदलाव की पहचान कर ली गई है जिसके कारण यह हादसा हुआ. उन्होंने इस घटना का कवच प्रणाली से कोई संबंध होने से इनकार किया.
10. रेलवे अपने नेटवर्क में कवच प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के आपस में टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके. रेल मंत्रालय के अनुसार, बहाली का काम जोरों पर चल रहा है और अधिकारी दुर्घटना स्थल पर बहाली प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. करीब एक हजार से ज्यादा कर्मचारी काम में लगे हैं. ये भीषण हादसा शुक्रवार को शाम को ओडिशा के बालासोर में बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास हुआ था.
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