Odisha Train Accident: 'कवच भी दुर्घटना को नहीं रोक पाता, क्योंकि...', रेलवे ने बताया कैसे हुआ ओडिशा ट्रेन हादसा
Coromandel Express Derail: रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि ये दुर्घटना केवल कोरोमंडल एक्सप्रेस के कारण हुई है. इस हादसे में अब तक 275 लोगों की जान गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
Railway On Coromandel Train Accident: ओडिशा के बालासोर (Balasore) जिले में हुए ट्रेन हादसे को लेकर रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने रविवार (4 जून) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान रेलवे बोर्ड के दो अधिकारियों सिग्नल संबंधी प्रधान कार्यकारी निदेशक संदीप माथुर और संचालन सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने दुर्घटना के कारणों और कवच (Kavach) प्रणाली के बारे में जानकारी दी. इस दुर्घटना में अब तक 275 लोग मारे गए और 1,000 से अधिक घायल हो गए हैं.
रेलवे ने बताया कि बालासोर का बहनागा बाजार स्टेशन, जहां ये दुर्घटना हुई वहां एक चार-लाइन वाला स्टेशन है. यहां बीच में दो मुख्य लाइनें और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं. दोनों लूप लाइनों पर लोहे के सामान से लदी मालगाड़ियां थीं. कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा से चेन्नई जा रही थी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा आ रही थी.
"रफ्तार निर्धारित गति से तेज नहीं थी"
अधिकारियों ने बताया कि दोनों मुख्य लाइनों पर ग्रीन सिग्नल था. कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी और दूसरी पैसेंजर ट्रेन 126 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. ग्रीन सिग्नल का मतलब है कि हर तरह से ड्राइवर जानता है कि उसका आगे का रास्ता साफ है और वह निर्धारित अधिकतम गति से ट्रेन चला सकता है. रेलवे बोर्ड ने कहा कि रफ्तार सीमा 130 किमी प्रति घंटा है इसलिए रफ्तार निर्धारित गति से तेज नहीं थी. हमने लोको लॉग से इसकी पुष्टि की है.
कवच सुरक्षा प्रणाली पर रेलवे ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि जिस मार्ग पर दुर्घटना हुई वहां रेलवे की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' उपलब्ध नहीं थी. जया वर्मा ने कवच की अनुपस्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सवाल को खारिज करते हुए रेल मंत्री के दावे को दोहराया कि इस दुर्घटना का कवच से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि ये इस तरह की दुर्घटना को टालने में मददगार नहीं होता. दुनिया की कोई भी तकनीक कुछ दुर्घटनाओं को नहीं रोक सकती है. अगर लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है तो कवच प्रणाली के तहत स्वचालित रूप से ब्रेक लग जाते हैं, जिससे गति नियंत्रित हो जाती है. ये लोको पायलट को सिग्नल जंप करने पर अलर्ट करता है जो ट्रेन टक्करों के प्रमुख कारणों में से एक है.
जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि सिग्नल के कारण समस्या हुई होगी. हालांकि अभी कुछ भी प्रमाणित नहीं कर सकते हैं, जांच के बाद ही सब साफ हो पाएगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा है कि दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में समस्या के कारण हुई थी.
"दुर्घटना केवल एक ट्रेन के कारण हुई"
रेलवे अधिकारी ने कहा कि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शुक्रवार (2 जून) शाम को लगभग सात बजे ओडिशा के बालासोर में बाहानगा बाजार स्टेशन के निकट आपस में भिड़ गई थीं. उन्होंने कहा कि दुर्घटना केवल एक ट्रेन के कारण हुई, वह कोरोमंडल एक्सप्रेस थी. कोरोमंडल मालगाड़ी से टकरा गई और उसके डिब्बे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गए. इसी दौरान कोरोमंडल के कुछ डिब्बे तीसरे ट्रैक में बेंगलुरु-हावड़ा से भी टकरा गए.
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