Odisha Train Accident: 'पटरी से उतरना और...', CAG ने अपनी रिपोर्ट में पिछले साल ही बताईं थीं कई कमियां, जानें 10 बड़ी बातें
CAG Report 2022: ओडिशा रेल हादसे की क्या वजह थी, इसकी अभी जांच चल रही है. इसकी रिपोर्ट जल्द ही सामने आएगी. इससे पहले पिछले साल CAG की एक ऑडिट रिपोर्ट जारी की गई थी.
Odisha Train Accident: ओडिशा में हुए रेल हादसे के बाद विपक्ष की तरफ से लगातार केंद्र सरकार पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया जा रहा है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये ऑडिट रिपोर्ट क्या थी और इसमें किन बातों को लेकर चेतावनी दी गई थी और क्या कुछ खामियां सामने आईं थी. 2022 के सिंतबर महीने में ही कैग ने रेलवे की ऑडिट रिपोर्ट में कहा था कि रेल सुरक्षा में कई खामियां हैं. ऐसे में विपक्ष का कहना है कि अगर समय पर रिपोर्ट पर काम हुआ होता तो आज इतना बड़ा हादसा नहीं होता.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूछा "नवीनतम CAG ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 और 2020-21 के बीच 10 में से लगभग सात रेल दुर्घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुईं. इसकी अनदेखी क्यों की गई?" नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में ज्यादातर रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने के लिए भारतीय रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग को जिम्मेदार ठहराया था. इसमें ट्रेनों के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करने का भी सुझाव दिया गया था.
क्या कहती है CAG की रिपोर्ट?
- 2017-18 से 2020-21 के ऑडिट में, कैग ने कहा कि खराब ट्रैक रखरखाव, ओवरस्पीडिंग और मैकेनिकल फेलियर पटरी से उतरने के प्रमुख कारण थे.
- रेल पटरियों की जियोमेट्रिक और स्ट्रक्चरल स्थितियों का आंकलन करने के लिए जरूरी ट्रैक रिकॉर्डिंग की तरफ निरीक्षण में 30 से 100 प्रतिशत तक की कमी थी.
- 32 प्रतिशत ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट में कई पद खाली नहीं होने, ऑपरेशनल से जुड़ी 19 प्रतिशत समस्याओं, 32 प्रतिशत ट्रैक मशीनों की सुस्ती देखी गई थी.
- 16 जोनल रेलवे में 1,129 'जांच रिपोर्ट' के विश्लेषण से चयनित मामलों/दुर्घटनाओं में पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार 24 कारकों का पता चला था. इन मामलों में संपत्ति का कुल 32.96 करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया था.
- कुल 422 पटरी से उतरने के लिए 'इंजीनियरिंग विभाग' को जिम्मेदार ठहराया गया था. 171 मामलों में पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक ट्रैक का रखरखाव न होना था.
- 'मैकेनिकल डिपार्टमेंट' के कारण पटरी से उतरने की संख्या 182 थी. 'व्हील डायमीटर वेरिएशन में दोष और कोच में खराबी के कारण 37 प्रतिशत ट्रेन पटरी से उतरने का कारण बनी थीं.
- 'लोको पायलटों' के कारण हुई दुर्घटनाओं की संख्या 154 थी. 'खराब ड्राइविंग/ओवर स्पीडिंग' पटरी से उतरने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया गया था.
- 'ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट' के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या 275 थी. 'प्वाइंट्स की गलत सेटिंग और शटिंग ऑपरेशन में अन्य गलतियों के कारण 84 प्रतिशत दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा था.
- 63 प्रतिशत मामलों में निर्धारित समय-सीमा के भीतर 'जांच रिपोर्ट' स्वीकार करने वाले प्राधिकारी को प्रस्तुत नहीं की गई थी. 49 प्रतिशत मामलों में स्वीकार करने वाले प्राधिकारियों की तरफ से रिपोर्ट स्वीकार करने में देरी हुई.
- मौजूदा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए 27,763 कोचों यानी 62 प्रतिशत में अग्निशमन यंत्र (Fire Extinguisher) उपलब्ध नहीं कराए गए थे.
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