Odisha train Accident: 'मेरा जिंदा बेटा लाशों के ढेर के नीचे दबा हुआ था', पिता ने सुनाई दर्दभरी कहानी
ओडिशा रेल हादसे के बाद एक व्यक्ति को उनका बेटा लाशों के ढेर में से जिंदा मिला जिसको कि बचाव कर्मियों ने मृत समझकर अस्थाई लाशों के ढेर के बीच में डाल दिया था.
Odisha train Accident: ओडिशा रेल हादसे के बाद अब उस दुर्घटना से प्रभावित लोगों की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं. ऐसे ही एक पीड़ित ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि एक्सीडेंट के बाद उसके घायल बेटे को जो बेहोश हो गया था बचावकर्मियों ने मृत समझकर लाशों के ढे़र के नीचे डाल दिया था. जब वह दुर्घटनास्थल पर पहुंचा और अपने बेटे को ढूंढा तो वह लाशों के ढेर में से उनको जीवित मिला.
हेलाराम मल्लिक ने बताया कि जब उनको बालासोर में ट्रेन हादसे की खबर मिली तो वह अपने घर से 230 किलोमीटर की दूरी तय करके घटनास्थल पर पहुंचे और अपने बेटे को ढूंढना शुरू कर दिया. इस दौरान वह अपने बेटे को ढूंढते हुए एक अस्थायी मुर्दाघर में घुसे जहां उनको अपना लाशों के ढे़र में जीवित पड़ा हुआ था.
मलिक बताते हैं कि उसके बाद वह अपने बेटे को उन लाशों के ढ़ेर से खींच कर हॉस्पिटल लेकर गए और उसके हाथ पैर में काफी चोटें आई हुई थी. उनको कोलकाता के एसएसकेएम हॉस्पिटल लाने से पहले बालासोर हॉस्पिटल लेकर जाया गया था जहां पर उनके हाथ-पैर में काफी चोटें आईं थी.
उस दिन क्या हुआ था?
हेलाराम मलिक ने बताया कि उनको ट्र्रेन के हादसे के तुरंत बाद उनके बेटे ने ट्रेन हादसे के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि उसको काफी चोट है और वह चेतनाशून्य महसूस कर रहा है. ये जानकरी मिलते ही हेलाराम तुरंत अपने बेटे की मदद के लिए बालासोर के लिए रवाना हो गये. लेकिन जब वह यहां पहुंचे तो हर तरफ अफरा तफरी मची हुई थी जिस वजह से यहां पर किसी को भी ढूंढ पाना इतना आसान नहीं था.
उन्होंने कहा, उनके लिए अपने जवान बेटे को खो देना बहुत ही दुख की बात होती, वह घबरा गये थे और उनको अपने बेटे की कुशलता की चिंता हो रही थी.