(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Odisha Train Accident: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग थी हादसे की वजह? रेलवे बोर्ड ने बताया टैंपर प्रूफ, जानें क्या है ये
Balasore Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे की वजह सामने आई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव को वजह बताया है. आखिर क्या होता है यह, आइए जानते हैं.
Coromandel Train Accident: ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार (2 जून) को हुए दर्दनाक रेल हादसे का कारण इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में हुए बदलाव को माना जा रहा है. रविवार (4 जून) को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और रेलवे बोर्ड ने इस बारे में जानकारी दी. रेल मंत्री ने कहा कि हादसे की वजह सिग्नल के लिए जरूरी प्वाइंट मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से संबंधित है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में हुए बदलाव की पहचान कर ली गई है.
वहीं, रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि हादसा सिग्नलिंग में आई दिक्कत की वजह से हुआ. उन्होंने इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग को टैंपर प्रूफ बताया. हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक तरह की मशीन है, इसलिए .01 फीसदी (फेलियर) गड़बड़ी की गुंजाइश रहती है. आखिर क्या होता है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, आइए समझते हैं.
क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग?
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नल तंत्र की एक सरल प्रणाली है. यह प्रभावी ढंग से पटरियों की व्यवस्था का प्रबंधन करती है ताकि ट्रेनों के बीच परस्पर विरोधी अवाजाही को रोका जा सके.
- इसका प्राथमिक उद्देश्य अनुचित क्रम में सिग्नलों को बदले जाने से रोककर ट्रेन संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
- इस प्रणाली का मूल उद्देश्य ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए दिए जाने वाले सिग्नल को तब तक रोकना है जब तक कि मार्ग के पूरी तरह से सुरक्षित होने की पुष्टि नहीं हो जाती.
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग रेलवे संचालन की समग्र सुरक्षा और क्षमता बढ़ाते हुए संभावित हादसों और टक्करों का जोखिम कम करता है.
- यह प्रणाली ट्रेनों की आवाजाही की निगरानी और उसके नियंत्रण के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम और कंप्यूटर का उपयोग करती है.
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली पारंपरिक 'मैकेनिकल इंटरलॉकिंग सिस्टम' की जगह लेता है. पारंपरिक मैकेनिकल इंटरलॉकिंग सिस्टम में सिग्नल और स्विच को नियंत्रित करने के लिए फिजिकल लीवर और रॉड का इस्तेमाल किया जाता है.
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के कई फायदे हैं, जिनमें ज्यादा विश्वसनीयता, तेज रिस्पॉन्स और ट्रेन की आवाजाही के प्रबंधन में बेहतर लचीलापन शामिल है.
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम पटरियों पर ट्रेनों की मौजूदगी और स्थान का पता लगाने के लिए सेंसर और फीडबैक डिवाइस का इस्तेमाल करता है.
- इंटरलॉकिंग सिस्सटम रेलगाड़ियों का सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए ट्रेन डिटेक्शन सिस्टम, सिग्नल, प्वाइंट (स्विच) और ट्रैक सर्किट जैसी अन्य कई प्रणालियों के साथ एकीकृत होता है.
- कुल मिलाकर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली है जो सिग्नल और ट्रैक को नियंत्रित करके ट्रेनों के बीच परस्पर विरोधी आवाजाही को बचाता है.
शुक्रवार शाम करीब 7 बजे ओडिशा के बालासोर में बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस के मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में जाने से भयानक हादसा हो गया था. कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में खड़ी एक मालगाड़ी से भिड़ गई थी, इसकी चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी. इस हादसे के कारण 275 लोगों ने जान गंवा दी. हालांकि, पहले बताया गया था कि 288 लोगों की मौत हुई. ओडिशा के मुख्य सचिव ने रविवार को साफ किया कि जान गंवाने वालों का आंकड़ा 275 है. हादसे में एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
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