नई दिल्ली: उपचुनावों के नतीजे कभी भी बीजेपी के लिए उत्साह बढ़ाने वाले नहीं थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आज 4 लोकसभा सीटों के उपचुनाव के नतीज आए जिसमें यूपी के कैराना में हार से बीजेपी की मुश्किल बढ़ गई है. 2014 से लेकर अब तक 27 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, इनमें बीजेपी महज 5 सीटें जीतने में कामयाब हुईं, जबकि कांग्रेस के हाथ सबसे ज्यादा 6 सीटें लगीं. दोनों राष्ट्रीय पार्टी के बाद तृणमूल कांग्रेस उपचुनाव में सबसे अधिक 4 सीटें जीतने में सफल रही.


आज 4 लोकसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजों में भी बीजेपी को बड़ा झटका लगा. 2014 के चुनाव में भारी बहुमत से जीती गई यूपी के कैराना सीट इसके हाथ से निकल गई. कैराना सीट पर आरएलडी के उम्मीदवार को जीत मिली है. जबकि महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया सीट पर एनसीपी का उम्मीदवार जीता है. बीजेपी के लिए इन चारों सीटों में से राहत की बात महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट रही है. पालघर सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार शिवसेना को हराने में कामयाब हुआ है. इसके साथ ही नागालैंड की सीट पर बीजेपी समर्थित एनडीपीपी के उम्मीदवार को जीत मिली है.


हार का सबसे जोरदार झटका


बीजेपी को लोकसभा उपचुनाव में सबसे जोरदार का झटका मार्च महीने में उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुई हार से मिला था. बिहार की अररिया सीट पर भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. गोरखपुर और फूलपूर की सीट पर जहां बीएसपी के समर्थन से एसपी ने बीजेपी की ये दोनों सीटें छीन ली थीं. वहीं अररिया की सीट आरजेडी के हिस्से गईं.


2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तो इन 27 सीटों में से बीजेपी के हिस्से में 13 सीटें आई थी. लेकिन उपचुनाव में बीजेपी के हाथ से 8 सीटें निकल गई और वह केवल 5 सीटें ही बचा पाई.


सबसे पहले साल 2014 में 5 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. ये पांचों सीटें उन्हीं पार्टियों के हिस्से में गई थी जो कि इन्हें 2014 के आम चुनाव में जीतने में कामयाब हुई थी. बीजेपी को 2014 के उपचुनाव में महाराष्ट्र के बीड और गुजरात की वडोदरा सीट पर जीत मिली थी. वहीं यूपी की मैनपूरी सीट समाजवादी पार्टी को जीत मिली तो ओडिशा की कंधमाल सीट बीजेडी और आंध्र प्रदेश की मेडक सीट टीआरएस के हिस्से आई थी.


2015 में नहीं मिली एक भी सीट पर जीत


2015 में बीजेपी को लोकसभा उपचुनाव में झटके लगने की शुरुआत हुई. मध्य प्रदेश के रतलाम की सीट कांग्रेस के हाथों हार गई. वारंगल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में टीआरएस को जीत मिली तो वहीं बंगाल की बनगांव सीट पर तृणमूल कांग्रेस विजेता रही.


हालांकि 2016 में बीजेपी का परफॉर्मेंस थोड़ा बेहतर हुआ. बीजेपी असम की लखीमपुर और मध्य प्रदेश की शहडोल सीट पर हुए उपचुनाव को जीतने में कामयाब हो गई. लेकिन बंगाल की तमलुक और कूचबिहार लोकसभा सीट तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में ही आई. मेघालय की सीट तुरा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव को बीजेपी ने नहीं लड़ने का फैसला किया था.


बीजेपी के लिए बुरे साबित हुए 2017 के उपचुनाव


साल 2017 में हुए उपचुनाव बीजेपी के लिए सबसे बुरे साबित हुए. बीजेपी को पंजाब की अमृतसर सीट और गुरदासपुर सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इससे पहले बीजेपी 4 बार गुरदासपुर की सीट जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा बीजेपी को केरल की मलापुरम सीट और श्रीनगर की सीट पर हुए चुनाव में भी हार मिली.


साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को उपचुनाव में हार मिलना जारी है. सबसे पहले बीजेपी के हाथ से राजस्थान की अजमेर और अलवर सीट निकल गई और उसके बाद यूपी की गोरखपुर और फूलपुर सीट पर भी हार मिली. इतना ही नहीं बीजेपी को बिहार के अररिया में आरजेडी के हाथों और बंगाल की उलुबेरिया सीट पर तृणमूल कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इन 6 में से 4 सीटों पर बीजेपी को 2014 के चुनाव में जीत मिली थी.


आज के नतीजों के बाद लोकसभा की 4 सीटें खाली हैं. यानी दो मनोनीत सदस्यों के साथ लोकसभा में इस वक़्त कुल 541 सदस्य हैं. यानि चुनाव में सदस्यों की संख्या 539 है और इसमें बीजेपी के कुछ सदस्यों की संख्या 272 है, जबकि बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 282 सीटों पर जीत दर्ज की थी.