OFB dissolved: मेक इन इंडिया के बाद भारत अब रक्षा क्षेत्र में 'मेक फॉर द वर्ल्ड' की राह पर चल निकला है. देश के लिए गोला-बारूद, टैंक और तोप बनाने वाले सरकारी उपक्रम ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के सात अलग डिफेंस कंपनियां बनाने से ये संभव हो पाएगा. विजयदशमी के अवसर पर आयुध-पूजा के दौरान ये दावा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया.
शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरा के अवसर पर राजधानी दिल्ली में ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड यानी ओएफबी के बनाए हथियारों की शस्त्र-पूजा की और ओएफबी को सात अलग-अलग डिफेंस-पीएसयू यानी पब्लिक सेक्टर यूनिट में तब्दील करने की विधिवत घोषणा की. इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव अजय कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी मौजूद थे.
ओएफबी के कॉर्पोरेटाइजेशन के मौके पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़ें. पीएम मोदी ने इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "ओएफबी को देश में हथियार बनाने का एक लंबा अनुभव है (करीब 200 साल का). यहां तक कि विश्व युद्ध के दौरान दुनिया ने इन ओएफबी फैक्ट्रियों का दमखम भी देखा था. आजादी के बाद जरूरत थी कि ओएफबी के अंतर्गत आने वाली फैक्ट्रियों को अपग्रेड किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अपनी सामरिक ताकत के लिए भारत विदेशों पर निर्भर रहने लगा."
पीएम मोदी ने ओएफबी के सात नई कंपनियों का आह्वान करते हुए कहा, "क्वालिटी और भरोसमंद (हथियार) हमारी पहचान बनने चाहिए. इन नई कंपनियों के लिए भी देश ने अभी से ही 65 हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर कर दिए हैं. ये हमारी डिफेंस इंडस्ट्री में देश के विश्वास को दिखाता है. पिछले कुछ सालों में हमारा डिफेंस एक्पोर्ट सवा तीन सौ प्रतिशत बढ़ा है. कुछ समय पहले ही रक्षा मंत्रालय ने ऐसे 100 से ज्यादा सामरिक उपकरणों की लिस्ट जारी की थी, जिन्हें अब बाहर से आयात नहीं किया जाएगा."
बता दें कि करीब 200 साल पुरानी ओएफबी की सभी 41 फैक्ट्रियों को जिन सात कंपनियों में बांटा गया है वे हैं-
(1) गोला-बारूद से जुड़ी 'म्यूनेशन इंडिया लिमिटेड'
(2) राइफल, मशीनगन, तोप इत्यादि हथियार से जुड़ी 'एडवांस वैपन एंड एक्युपमेंट लिमिटेड'
(3) टैंक, बीएमपी और ट्रक से जुड़ी आर्मर्ड व्हीकल्स ('अवनी') लिमिटेड
(4) सैनिकों की यूनिफॉर्म और टेंट इत्यादि से जुड़ी 'ट्रूप कम्फर्ट लिमिटेड'
(5) नाइट विजन डिवाइस जैसे सैन्य उपकरण बनाने वाली 'ऑपटिक्ल लिमिटेड'
(6) पैराशूट ग्रुप और एनसेलेरी-ग्रुप से जुड़ी 'यंत्र सिस्टम'
(7) 'लिडर्स इंडिया लिमिटेड'
कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "ओएफबी के सात अलग-अलग कंपनियां बनने से भारत अब दुनियाभर में डिफेंस हब के तौर पर बनने के लिए तैयार है. प्राइवेट और सरकारी दोनों इंडस्ट्री की इसमें अहम भूमिका होगी, जिसके चलते भारत आज 'मेक फॉर द वर्ल्ड' की राह पर चल पड़ा है. रक्षा मंत्रालय ने एयरोस्पेस और डिफेंस गुड्स एंड सर्विसेज़ में वर्ष 2024 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट भी शामिल है."
रक्षा मंत्री ने कहा, "ओएफबी का मूलभूत ढांचा और कुशल कर्मचारी देश के लिए एक महत्वपूर्ण और सामारिक संपत्ति हैं. हालांकि, पिछले कुछ दशकों में सेना द्वारा ओएफबी के हथियारों की महंगी कीमत, खराब क्वालिटी और सप्लाई में देरी से संबंधित चिंताओं को उठाया जाता रहा है, इसलिए जवाबदेही और कार्य-क्षमता जरूरी थी और इसीलिए कॉर्पोरेटाइजेशन का फैसला लिया गया. रक्षा मंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस निर्णय को लागू करते समय कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जा रही है."