नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आज आप विधायकों को राहत देने के लिये कोई भी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया. चुनाव आयोग ने कथित तौर पर लाभ का पद रखने के लिये इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश राष्ट्रपति को की है. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है. इन विधायकों को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था.
दिल्ली की 20 सीटों का त्वरित सर्वे: बीजेपी-आप को 8-8 और कांग्रेस को 4 सीटें मिलने का अनुमान
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से उसे 22 जनवरी तक सूचित करने को कहा कि क्या विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कोई अंतिम पत्र भेजा गया है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने साफ कर दिया कि वह कोई आदेश देने या नोटिस जारी करने नहीं जा रही हैं और चुनाव आयोग से उनके द्वारा पूछे गए सवालों पर स्पष्टीकरण देने को कहा.
जानें- कौन हैं आम आदमी पार्टी के वो 20 विधायक जो लाभ के फेर में फंसे हैं?
हालांकि, संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने चुनाव आयोग के समक्ष विधायकों के आचरण पर सवाल उठाया और कहा कि वे इस तथ्य की आड़ लेते हुए चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित हुए कि उनकी याचिकाएं हाई कोर्ट के समक्ष लंबित हैं. इन विधायकों ने आवेदन उस लंबित याचिका में दायर किया, जिसमें आप विधायकों ने उनके खिलाफ याचिका का परीक्षण करने के चुनाव आयोग के रुख को चुनौती दी थी.
चुनाव आयोग की तरफ से उन्हें अयोग्य ठहराने की सिफारिश करने के कुछ ही घंटे बाद प्रभावित विधायकों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामले का जिक्र किया. उन्होंने न्यायमूर्ति पल्ली के समक्ष सुनवाई के लिये मामले को सूचीबद्ध कर दिया. इससे पहले दिन में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों के कथित तौर पर लाभ का पद रखने को लेकर अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी.
‘आई एम करप्शन’ बन चुकी है AAP, किसी भी वक्त चुनाव के लिए हैं तैयार: BJP
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं. आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये राजौरी गार्डन के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.
जिन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना है उसमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं.
इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.