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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

'उप-राज्यपाल के इशारे पर नहीं सुनते अधिकारी', दिल्ली सरकार ने SC में दाखिल हलफनामे में किया दावा

दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बड़े स्तर पर दिल्ली सरकार के कई विभागों के पद खाली पड़े हैं. उन्होंने कहा कि जिनको ये पद भरने की जिम्मेदारी है वो जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है.

Delhi government In SC: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रहा विवाद ने नया मोड़ ले लिया. अधिकारों और कामकाज को लेकर छिड़ी जंग के बीच दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट मे एक नया हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में मनीष सिसोदिया ने एलजी और अधिकारियों के काम पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस हलफनामे में कहा गया है कि नौकरशाहों ने बैठकों में भाग तक लेना बंद कर दिया है.

अधिकारी मंत्रियों के फोन कॉल तक रिसीव नहीं करते. मंत्री के आदेशों को भी लगातार इग्नोर किया जा रहा है और चुनी हुई सरकार के साथ उदासीनता के साथ व्यवहार किया जा रहा है. हलफनामे में कहा गया है कि साल की शुरुआत में जबसे दिल्ली में नये उपराज्यपाल के तौर पर विनय कुमार सक्सेना की नियुक्ति हुयी है तभी से चुनी हुई सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है. 

दिल्ली सरकार में खाली पड़े हैं पद
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि बड़े स्तर पर दिल्ली सरकार के कई विभागों के पद खाली पड़े हैं. उन्होंने कहा कि जिनको ये पद भरने की जिम्मेदारी है वो जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि लगातार अलग-अलग विभागों के सीनियर अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया है जिसके चलते सरकार की नीतियों को लागू करने में बहुत बड़ा गैप हो गया है. दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल इस हलफनामे पर अब 24 नवंबर को संविधान पीठ में सुनवाई की जाएगी.

इससे पहले कब-कब सवाल उठा चुकी है दिल्ली सरकार?
ये पहली बार नहीं जब केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के नये उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर सवाल उठाये हों. इससे पहले ऐसे कई मौके सामने आये जब सरकार और एलजी की तकरार खुलकर दिखाई दी है. दरअसल इसकी शुरुआत तब हुई जब एलजी ने बिना मंत्री को जानकारी दिये जल बोर्ड के अधिकारियों की मीटिंग बुला ली. 

जिसके बाद इस पर खूब हंगामा हुआ. इसके बाद एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया और इसके पीछे ये दलील दी कि कार्यक्रम सीएम स्तर का नहीं है, मेयर स्तर का है इसलिए सीएम इसमें शिरकत न करें. तीसरा मुद्दा बना दिल्ली की नई एक्साइज पॉलिसी.

एक्साइज पॉलिसी पर दिल्ली सरकार ने क्या कदम उठाये थे?
उप राज्यपाल की सरकार ने एक्साइज पॉलिसी को लेकर सवाल उठाते हुए इसकी जांच के आदेश दिये हैं और गड़बड़ी पाए जाने पर इसकी जांच CBI को सौंप दी. इसके बाद एलजी ने केजरीवाल सरकार पर लगे 1000 लो फ्लोर DTC बसों की खरीद के टेंडर प्रोसेस के दौरान कथित घोटाले के मामले में जारी जांच की सिफारिश भी CBI को सौंप दी. हालांकि इस दौरान दिल्ली सरकार ने एलजी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली को ज्यादा पढ़े लिखे एलजी की जरूरत है. मौजूदा एलजी को पता ही नहीं है कि वो कहाँ पर हस्ताक्षर कर रहे हैं.

आप ने एलजी को लेकर क्या सवाल उठाये?
दिल्ली के एलजी ने आम आदमी पार्टी को लेकर सवाल उठाए थे. आप ने एलजी पर आरोप लगाते हुए कहा कि एलजी विनय सक्सेना ने खादी ग्रामोद्योग आयोग का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 1400 करोड़ रुपए का घोटाला किया. इस दौरान उन्होंने बिना टेंडर के अपनी बेटी को ठेका दिया. जबकि इस आरोप के बाद एलजी ने आप के उन सभी विधायकों के खिलाफ मानहानि का केस फाइल कर दिया जिन्होंने उन पर ये गंभीर आरोप लगाये थे. इसके बाद भी ये जंग यहीं नहीं थमी बल्कि एलजी ने पानी के बिलों की वसूली मामले में भ्रष्टाचार के आरोप पर मुख्य सचिव को जांच के आदेश दे दिये हैं.

इसके बाद ये लड़ाई तब खुलकर जगज़ाहिर हुयी जब एलजी ने तल्ख़ टिप्पणियों के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिख डाली और सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि विज्ञापन और भाषणों के आधार पर चल रही है दिल्ली की सरकार. जिसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस चिट्ठी पर चुटकी लेते हुए कहा कि ये एलजी का उनको लिखा लव लेटर है.

एलजी ने रोक दीं दिल्ली सरकार की कई फाइलें
ये तकरार जब काफ़ी ज़्यादा बढ़ गयी तो एलजी ने प्रदूषण कम करने को लेकर दिल्ली सरकार की रेड लाइट ऑन-गाड़ी ऑफ अभियान से जुड़ी फ़ाइल ये बताकर रोक दी कि उन्हें सरकार द्वारा फ़ाइल देरी से मिली और इस अभियान से जुड़े फायदों का ज़िक्र भी इस फ़ाइल में नहीं किया गया. जिसके ख़िलाफ़ केजरीवाल सरकार सड़क पर उतर आयी और कहा कि एलजी जानबूझकर उनके काम को रोक रहे है. 

इसके बाद दिल्ली सरकार की एक और योजना ‘दिल्ली की योगशाला’ कार्यक्रम से जुड़ी फाइल भी एलजी ने रोक दी. जिसके बाद 1 नवंबर से ये कार्यक्रम सरकार को बंद करना पड़ा हालांकि इस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने योग के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे लोगों को काफी फायदा मिला है और वो इसे बंद नहीं होने देंगे, भले इसका पूरा खर्चा उनको खुद क्यों न उठाना पड़े जिसके बाद दिल्ली में ये कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया.

ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली के एलजी के साथ केजरीवाल सरकार इस तरह विवादों में घिरी हो. इससे पहले भी सरकार के दौरान जितने भी एलजी रहे उन पर केजरीवाल सरकार ने ये आरोप लगाये कि एलजी उनका काम जबरन रोक रहे हैं और ऐसा इसलिये हो रहा है क्योंकि केंद्र की बीजेपी सरकार एलजी के जरिये उनका काम रुकवा रही है. 

कब-कब हुआ एलजी और दिल्ली सरकार के बीच विवाद?

1- साल 2015 से ही केजरीवाल लगातार उपराज्यपाल पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने यहां तक शिकायत कर दी कि मुख्यमंत्री को अपने कार्यालय में तैनात चपरासी तक के तबादले का अधिकार नहीं है.

2- दिसंबर 2015 में सरकार के दो विशेष सचिव के निलंबन के आदेश के खिलाफ अधिकारी एक दिन के अवकाश पर चले गए.

3- सीसीटीवी कैमरे लगाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर भी विवाद हुआ. उपराज्यपाल ने जरूरी बदलाव की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव दिल्ली सरकार को लौटा दिया था.

4- इसके बाद मुख्यमंत्री की मांग थी कि उपराज्यपाल डोर स्टेप डिलीवरी योजना को मंजूर करें. सीएम ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल का व्यवहार वायसराय की तरह है, उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने तक की फुर्सत नहीं.

5- नजीब जंग ने दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त एमके मीणा को एसीबी का नया प्रमुख बनाया. केजरीवाल ने इस फैसले का जोरदार विरोध किया था.

6- उपराज्यपाल नजीब जंग ने वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली सरकार के गृह सचिव धर्मपाल को हटा दिया था.

7- दिल्ली सरकार ने स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग (DCW) का अध्यक्ष नियुक्त किया. नजीब जंग ने पूछा- उनकी मंजूरी क्यों नहीं ली गई.

8- सीबीआई ने मुख्यमंत्री कार्यालय पर छापा मारा. केजरीवाल ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नजीब जंग को जिम्मेदार ठहराया था.

9- एलजी के आदेश पर एसीबी ने पानी के टैंकर घोटाले में अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

10- नजीब जंग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव और पीडब्ल्यूडी सचिव को निकाल दिया. इस पर केजरीवाल ने कहा था कि पीएम मोदी जंग के माध्यम से दिल्ली को तबाह करना चाहते हैं.

11- नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच विवाद तब ज़्यादा बढ़ गया था जब नजीब जंग ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल के आवास पर एक मीटिंग के दौरान कुछ विधायकों ने उनके साथ हाथापाई की और ये मामला कोर्ट पहुंच गया.

12- पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल के दौरान भी ये झगड़ा इतना बढ़ गया था कि सीसीटीवी से जुड़े एक मामले को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन क़रीबन 1 हफ़्ते तक एलजी दफ़्तर के भीतर धरने पर बैठे रहे.

13- इस दौरान उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच ये विवाद इतना बढ़ा कि मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. न्यायालय ने तब अपने फैसले में कहा कि उपराज्यपाल के पास फैसले लेने का स्वतंत्र अधिकार नहीं, वह सरकार की सलाह मानने को बाध्य है.

'वाजिब है राज्यपाल का हस्तक्षेप'
केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच इन विवादों पर बीजेपी और कांग्रेस भी लगातार सवाल उठाते रहे हैं. दोनों ही पार्टियों ने कहा कि इस तरह दिल्ली का विकास का काम बाधित होता है. अब जब एक बार फिर ये जंग तेज़ हो गयी है तो इस पर  बीजेपी सांसद और राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं संविधान की मर्यादाओं का पालन करते हैं. और ऐसे में राज्यपाल को अगर लगता है कि राज्य सरकार संविधान की मर्यादा की अनदेखी कर रही है तो ऐसे में राज्यपाल  का हस्तक्षेप वाजिब है.

दुष्यंत गौतम ने दिल्ली के सीएम और उपराज्यपाल के बीच चल रहे विवाद पर कहा कि दिल्ली सरकार लगातार ऐसे काम करती है जो नियमों और संविधान के खिलाफ है दिल्ली में आज की तारीख में एक नहीं बल्कि कई समस्या हैं और जब उपराज्यपाल उन समस्याओं को लेकर कोई बात कहते हैं तो दिल्ली सरकार उस पर राजनीति करती है क्योंकि उसको वह मंजूर नहीं.

क्या बोली कांग्रेस?
कांग्रेस ने भी अरविंद केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये सरकार सिर्फ़ बहाने बनाने का काम करती है. दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल ने कहा कि अगर कोई विवाद है तो उपराज्यपाल और अरविंद केजरीवाल को साथ बैठकर उस विवाद को सुलझाना चाहिए. क्योंकि इस तरह दिल्ली के विकास कार्य रुके पड़े हैं जिसकी वजह से दिल्ली की जनता भी परेशान है.

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