Sindhi Jhulelal: मुंबई के दादर इलाके में 17 मार्च को वीर सावरकर ऑडिटोरियम में सिंधु सखा संगम की नई परियोजना "ओह माय झूलेलाल" का मंचन किया गया. इस नाटक का निर्देशन जूली बी. तेजवानी ने किया है और निखिल आर. राजपाल ने लिखा है. इस नाटक में मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता के अहम मुद्दे शामिल थे. नाटक में सिंधी युवा कलाकार और वरिष्ठ कलाकारों ने सफलतापूर्वक नाटक को प्रस्तुत किया.
यह प्रोजेक्ट सिंधी समाज के थिएटर में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है, जिसमें तकनीकी पहलुओं, संवाद लेखन, निर्देशन और हर कलाकार का प्रदर्शन शामिल है. इस नाटक में दिलचस्प चीज यह रही कि कलाकारों के लाइव ड्रामा के साथ साथ कैमरे पर पहले से शूट की गई कहानी भी थी.
नाटक में धर्म परिवर्तन का अहम संदेश
सिंधी समाज में कई ऐसी समस्याएं हैं जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. नाटक में धर्मपरिवर्तन का अहम संदेश दिया गया, जिसमें बताया गया है कि कई सिंधी लोग गरीबी और समर्थन की कमी के कारण ईसाई धर्म में अपना परिवर्तन कर रहे हैं. यह केवल मुंबई या मुंबई से सटे उल्हासनगर की बात नहीं बल्कि पूरे देश के कई हिस्सों में यह देखा जा रहा है. वहीं कई ऐसे युवा हैं जो अपनी मातृ भाषा को बोलना नहीं जानते जिस कारण से नई पीढ़ी में सिंधी भाषा का महत्त्व काफी कम नजर आ रहा है. 'भाषा' नाटक का दूसरा मुद्दा था.
समाज में बढ़ रहा तलाक का चलन
वहीं, नाटक में तीसरा मुद्दा तलाक को लेकर उठाया गया, जिसमें बताया गया है कि आज कल नवविवाहित जोड़े शादी के बाद तुरंत डायवोर्स की तरफ बढ़ रहे हैं. कारण कि लड़का और लड़की अपने जीवन में कोई समझौता नहीं करना चाहते. सिंधु सखा संगम ने लाइव ड्रामा और प्री शूट किए गए सीन्स द्वारा यह संदेश समाज तक पहुंचाने का निर्णय लिया है.
अकादमी के जरिए हमें फंड मिलता है
ओह माय झूलेलाल की डायरेक्टर जूली तेजवानी ने एबीपी न्यूज को बताया, "महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी जो कल्चरल मिनिस्ट्री की है, केंद्र सरकार इस अकादमी के जरिए हमें फंड्स देती है ताकि हम सिंधी भाषा को बढ़ावा दे सकें. इस नाटक में झूलेलाल भगवान को महत्व दिया गया है, जो हमारे ईष्टदेव हैं. झूलेलाल ने ही हम सभी सिंधी भाई और बहनों का निर्माण किया है. लेकिन इस नाटक के जरिए हमने कई समस्याओं पर प्रकाश डाला है. जैसे कई युवा अपनी मातृभाषा से अनभिज्ञ हैं."
समस्याओं का समाधान दिखाने की कोशिश
जूली तेजवानी ने आगे कहा, "कई युवा सिंधी धर्म परिवर्तन की ओर बढ़ रहे हैं. इस नाटक में झूलेलाल के जरिए हमने इन समस्याओं का समाधान दिखाने की कोशिश की है. यह नाटक नई तकनीक से बनाया गया है, जिसमें ड्रामा है, डांस है, पहले से शूट किए गए सीन्स हैं. यह सच्चाई है कि हिंदी और मराठी नाटक जितना सिंधी नाटक प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन जिस तरह से हमने इस नई तकनीक के साथ नाटक की शुरुआत की है, हम कह सकते हैं कि सिंधी नाटक हिंदी और मराठी से कम भी नहीं है. हम अपील करना चाहेंगे सभी सिंधी भाई और बहनों को के हमें समर्थन जरूर दें."
आज के जमाने में नहीं पढ़ाई जाती सिंधी भाषा
सिंधी नाटक ओह माय झूलेलाल को समर्थन देने पहुंचे उल्हानगर महानगर पालिका के पूर्व पार्षद महेश सुखरामानी ने एबीपी न्यूज को बताया, "आज के जमाने में स्कूलों में सिंधी भाषा नहीं पढ़ाई जाती, सिंधी भाषा की कोई किताब नहीं है. यह सच है कि आगे बढ़ने के लिए इंग्लिश सीखना जरूरी है, लेकिन बच्चों को अपनी मातृ भाषा का महत्व समझना बेहद जरूरी है. इसीलिए हमने नाट्य और नृतिका के माध्यम से ओह माय झूलेलाल के जरिए सिंधी भाषा का अधिक प्रचार करने का निर्णय लिया है."
तीसरा शो उल्हासनगर में
झूलेलाल का किरदार निभाने वाले कलाकार हीरो परवानी ने एबीपी न्यूज को बताया कि आज कल लोगों को आसान भाषा में अगर कुछ समझाएं तो वे नहीं समझते हैं. इसीलिए इस नाटक के माध्यम से हम बताते हैं कि झूलेलाल धरती पर उतरते हैं और लोगों को क्या सही है और क्या गलत है, बताते हैं. धर्म परिवर्तन का मुद्दा अहम है क्योंकि कई लोग हिंदू धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं. यह काफी गलत है, हम इसके खिलाफ हैं इसीलिए हम इस नाटक के जरिए लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं. हमारा पहला शो, प्रीमियर शो अजमेर में हुआ था, दूसरा शो दादर में हुआ और अब तीसरा शो उल्हासनगर में हो रहा है."
इसलिए हमने नाटक प्रस्तुत किया- नारद मुनि
ओह माय झूलेलाल में, झूलेलाल के साथ नारद भी हैं. नारद का किरदार निभाने वाले लविन तेजवानी ने एबीपी न्यूज को बताया, "नारद और झूलेलाल के कॉम्बिनेशन का श्रेय हमारे लेखक को जाता है. जहां नारद और झूलेलाल के बीच हो रहे हंसी मजाक के जरिए हम लोगों तक अहम मुद्दों के संदेश पहुंचा रहे हैं. आज मैं बचपन से उल्हासनगर में रह रहा हूं, बचपन में सभी पड़ोसी सिंधी थे आज सिंधी लोग बहुत कम बचे हैं और जो सिंधी हैं भी वह ईसाई धर्म में अपना परिवर्तन कर रहे हैं. इन्हीं मुख्य बातों को ध्यान में रख कर हमने यह नाटक प्रस्तुत किया है."
इस नाटक में भाग लेने वाले कलाकार, हीरो परवानी, लविन तेजवानी, जय नायक, निशा सचदेव, किशन रामनानी, वर्षा अम्बवानी, नंद अम्बवानी, राकेश कर्रा, जयश्री थवानी, सिमरन मोटवानी, दिनेश रोहरा, गुलशन मखीजा, गौरव परवानी, भारती खत्री, भाविका तलरेजा, दृष्टि हैं.