चीन और पाकिस्तान से तनातनी के बीच इस्लामिक देशों से भारत को झटका, OIC ने बुलाई कश्मीर पर आपात बैठक
ओआईसी इस्लामिक देशों का संगठन है और इसमें सऊदी अरब का दबदबा है. जम्मू-कश्मीर का जब भारत ने विशेष दर्जा ख़त्म किया था तो ओआईसी लगभग ख़ामोश था.
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नई दिल्ली: एक तरफ चीन के साथ गलवान घाटी में तनातनी तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की तरफ से LOC पर सीजफायर उल्लंघन और आतंकी साजिश की कोशिशों के बीच मुस्लिम देशों ने भारत को झटका दिया है. ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन ने जम्मू-कश्मीर के ताजा हालात पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलाई है.
OIC सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा. इस बैठक में कश्मीर के मसले पर चर्चा होगी. ओआईसी ने एक बयान में कहा है कि इस ऑनलाइन बैठक में जम्मू और कश्मीर के विदेश मंत्री और OIC समूह के सदस्य देश अज़रबैजान, नाइजर, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की के विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे.
बता दें कि ओआईसी इस्लामिक देशों का संगठन है और इसमें सऊदी अरब का दबदबा है. जम्मू-कश्मीर का जब भारत ने विशेष दर्जा ख़त्म किया था तो ओआईसी लगभग ख़ामोश था. ओआईसी में सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है. सऊदी ने भी अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में पाकिस्तान का साथ नहीं दिया था और संयुक्त अरब अमीरात ने इसे भारत का आंतरिक मामला कहा था. हालांकि तुर्की और मलेशिया ने इस मामले में भारत की खुलकर आलोचना की थी.
कब बना OIC और कौन-कौन से देश हैं इसका हिस्सा
OIC 1969 में बना ऑर्गेनाइजेशन है. इस ऑर्गेनाइजेशन में कुल 56 देश हैं. इन 56 देशों के नाम हैं- अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, बांग्लादेश, बेनिन, ब्रूनेई, दार-ए- सलाम, बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, कोमोरोस, आईवरी कोस्ट, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सेनेगल, सियरा लिओन, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, टोगो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन.
क्या है OIC का मुख्य उद्देश्य
1- OIC का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस्लामी एकजुटता को प्रोत्साहन देना है. सदस्यों के बीच परामर्श की व्यवस्था करना है.
2- इसके अलावा इसका उद्देश्य न्याय पर आधारित देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करना है.
3- विश्व के सभी मुसलमानों की गरिमा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा करने का उद्देश्य भी इस संस्था का है.
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