चुनाव के बीच रामलीला मैदान में पेंशन शंखनाद रैली... क्या पुरानी स्कीम सरकार को देगी टेंशन? जानें OPS और NPS के फायदे-नुकसान
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों की सैलरी से कटौती नहीं की जाती थी, जबकि नई स्कीम के तहत कर्मचारियों की तनख्वा से 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है और 14 फीसदी हिस्सा सरकार देती है.
पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme, OPS) को बहाल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. 01 अक्टूबर को 20 से ज्यादा राज्यों के एक लाख से अधिक कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 'पेंशन शंखनाद महारैली' की और नई पेंशन स्कीम को लेकर विरोध जताया. उनका कहना है कि नई पेंशन स्कीम के चलते वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उधर, इस मामले में सियासत भी गर्माने लगी है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पुरानी स्कीम को वापस लागू करने की मांग शुरू कर दी है. जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है वहां पर नई स्कीम लागू है, लेकिन कुछ गैर-बीजेपी राज्यों में पुरानी स्कीम ही चल रही है. नई पेंशन स्कीम को राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme, NPS) के नाम से जाना जाता है.
विपक्ष अब इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात कर रहा है. स्कीम को लेकर मच रहे इस बवाल में ये जानना जरूरी हो जाता है कि पुरानी स्कीम में ऐसा क्या था, जो नई स्कीम को लेकर लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है और उसके क्या फायदे थे. नई स्कीम कब लागू हुई, पुरानी को क्यों बंद किया गया और दोनों में क्या अंतर है, इन सभी सवालों के जवाब भी आपको आगे मिलेंगे.
पुरानी पेंशन स्कीम में क्या
- सैलरी से कटौती नहीं
- रिटायरमेंट पर आधी सैलरी मिलती थी बाकी जीवनभर आय के रूप में
- जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा
- सरकारी खजाने से पेंशन
- 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी
नई पेंशन स्कीम में क्या-
- सैलरी से 10 फीसदी कटौती
- पेंशन की रकम तय नहीं
- जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा नहीं
- शेयर बाजार पर निर्भर
- 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का प्रावधान नहीं
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS)में अंतर
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फॉर्मूले के तहत पेंशन मिलती है और यह रिटायरमेंट के बाद जीवनभर आय का आश्वासन देती है. इसके तहत, कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता था. इसके साथ ग्रैच्युटी, महंगाई भत्ता और साल में दो बार महंगाई राहत के संशोधन का लाभ भी मिलता था. यह पूरा पैसा सरकारी खजाने से दिया जाता था और कर्मचारी की सैलरी से कोई पैसा नहीं कटता. वहीं, नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 प्रतिशत कटौती की जाती है और यह हिस्सा पेंशन के लिए जाता है. 14 प्रतिशत हिस्सा सरकार देती है, लेकिन इसमें कोई ग्रैच्युटी नहीं मिलती. रिटायरमेंट के बाद क्या रकम मिलेगी यह तय नहीं है क्योंकि यह शेयर मार्केटिंग पर आधारित है. कर्मचारियों से जो पैसा लिया जाता है, वह पीएफआरडीए बाजार में लगाता है और उसी में से 25 फीसदी या 40 फीसदी हिस्सा कर्मचारी निकाल सकते हैं और बाकी पैसा वार्षिकी (Annuity) के तौर पर उसी में पड़ा रहेगा. रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारी इसको निकाल नहीं सकते. पुरानी स्कीम में कर्मचारियों को जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा मिलती थी, जो नई स्कीम में नहीं है.
कब लागू हुई NPS?
एनपीएस को साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लागू किया था. 2004 से पहले नौकरी करने वालों को पुरानी स्कीम का फायदा अभी भी मिलता है. पुरानी पेंशन योजना भले ही वाजपेयी सरकार में लागू की गई, लेकिन इसे जमीन पर उतारा गया पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कांग्रेस की सरकार में.
EAC-PM की सदस्य शमिका रवि ने बताए OPS बहाल करने के नुकसान
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से गरीब आबादी पर बुरा असर पड़ेगा और उन राज्यो में निजी निवेश कम हो जाएगा, जो पुरानी पेंशन स्कीम की ओर लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कदम असमानता और निम्न आर्थिक विकास को खराब करेगा.
OPS बहाल करने की मांग पर राजनीति
पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर सियासत गर्माने लगी है. चुनावी राज्यों में पार्टियां इस मुद्दे को उठाकर फायदा लेने की कोशिश में लगी हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने चुनावी एजेंडे में पुरानी पेंशन योजना को शामिल किया है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने राज्य में मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए भत्ता और एलपीजी सिलेंडर की कीमत 500 रुपये करने के वादे में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का भी वादा किया है.
आप ने कहा संसद में उठाएगी मुद्दा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपना समर्थन दिया और कहा कि पुरानी स्कीम लागू करने की सरकारी कर्मचारियों की मांग का आम आदमी पार्टी समर्थन करती है. उन्होंने नई स्कीम को कर्मचारियों के साथ अन्याय बताते हुए कहा कि आप ने पंजाब में पुरानी स्कीम लागू कर दी है और दिल्ली में भी इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि कुछ और गैर बीजेपी शासित राज्यों में भी इसे फिर से लागू कर दिया गया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी स्कीम बहाल कर दी गई है. वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने रामलीला मैदान में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाएंगे. उन्होंने सिस्टम पर सवाल उठाया कि जब विधायकों और सांसदों को पूरी जिंदगी पेंशन मिलती है तो जो कर्मचारी 40 साल सेवा देते हैं उन्हें ये फायदे क्यों नहीं दिए जा रहे. संजय सिंह ने यह भी दावा किया कि अरविंद केजरीवाल का नारा है- जहां आप सरकार, वहां होगी पुरानी पेंशन स्कीम.