Rajendra Nagar Accident: कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट की खरी-खरी : "मुफ्त की योजनाओं की जगह इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर काम करे दिल्ली सरकार"
Delhi Coaching Centre Deaths: दिल्ली हाई कोर्ट ने राजेन्द्र नगर कोचिंग हादसे पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वो अपनी योजनाओं के प्रचार से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर काम करे.
Delhi Coaching Centre Deaths: दिल्ली के राजेन्द्र नगर कोचिंग हादसे (Rajendra Nagar coaching centre incident) पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (31 जुलाई) को दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के साथ ही एमसीडी, पुलिस और दूसरी संस्थाओं को भी आड़े हाथों लिया. इस मामले पर सख्त लहजे में कोर्ट ने कहा कि सभी एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, सड़क पर कार चला रहे एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले अधिकारी आराम से बैठे हैं. कोर्ट ने मामले पर रिपोर्ट मांगने के साथ-साथ दिल्ली में ड्रेनेज सिस्टम के ऊपर हुए अवैध निर्माण हटाने का आदेश भी दिया. बता दें कि 28 जुलाई को दिल्ली के ओल्ड राजेन्द्र नगर इलाके में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की डूब कर मौत हो गई थी.
'इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर काम करें'
कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP सरकार को खरी-खरी सुनाई. अदालत ने कहा, 'मुफ्त की योजनाओं की जगह इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर दिल्ली सरकार काम करे.' दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले के संबंध में एनजीओ कुटुंब और अमरीक सिंह बब्बर नाम के याचिकाकर्ता की याचिकाओं पर सुनवाई की. इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी और पुलिस से रिपोर्ट मांगी है.
दिल्ली सरकार को फटकार
कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई और कहा, 'दिल्ली सरकार अपनी मुफ्त की योजनाओं के प्रचार में लगी है. दिल्ली सरकार के पास कोई योजना नहीं. वह एक दिन सूखे की शिकायत करती हैं, अगले दिन बाढ़ आ जाती है. दिल्ली सरकार को अपनी मुफ्त योजनाओं पर दोबारा विचार की जरुरत है.'
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, '6-7 लाख लोगों के लिए बसाए शहर में 3 करोड़ से ज्यादा लोग हो गए हैं लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई विकास नहीं हो रहा. 100 साल पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे विकसित किए बिना बेहिसाब निर्माण होने दिया जा रहा है. क्या एमसीडी का कोई एक अधिकारी जेल गया है? सिर्फ वहां से गुजर रहे एक कार वाले को पुलिस ने पकड़ लिया.'
दिल्ली कैसे चलेगी- HC
दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, यह बेसमेंट कैसे बने? उनकी अनुमति किस-किस इंजीनियर ने दी. पानी निकालने का क्या इंतजाम किया? यह सारे लोग जो जिम्मेदार हैं, क्या वह बच जाएंगे? एमसीडी के आला अधिकारी एसी कमरे से बाहर निकलने को तैयार नहीं, उन्हें खुद फील्ड में जाना चाहिए, तभी कुछ बदलाव होगा. दिल्ली में एमसीडी है, जल बोर्ड है, PWD है. किसकी जिम्मेदारी क्या है, पता ही नहीं चलता. शायद हमें केंद्रीय गृह मंत्रालय से विचार करने को कहना होगा कि दिल्ली कैसे चलेगी. अगर पुलिस सही जांच नहीं करेगी, तो हम सीबीआई को मामला सौंपेंगे.'
कब होगी अगली सुनवाई?
कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने एमसीडी कमिश्नर, दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी और डीसीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को भी कहा है. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 2 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे होगी. बता दें कि इस हादसे पर छात्र समेत अन्य लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने क्या दलील दी?
याचिकाकर्ता ने रिटायर्ड जज की निगरानी में दिल्ली में हुए अवैध निर्माण की जांच की मांग रखी. उसके वकील ने कहा, 'आप घर पर एक ईंट लगाइए, एमसीडी के लोग तुरंत आ जाएंगे लेकिन उनके आने का मकसद अवैध निर्माण रोकने की जगह पैसों की वसूली होता है. नियमों के खिलाफ 6-6 मंजिल तक निर्माण हो रहा है. बेसमेंट भी बनाए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल स्टोरेज जैसे काम की जगह लाइब्रेरी या दफ्तर चलाने जैसी गतिविधियों के लिए हो रहा है.'
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया, 'जिस इलाके ((Rajendra Nagar coaching centre incident)) में यह हादसा हुआ, वहां ड्रेन सिस्टम के ऊपर अवैध मार्किट बस गया है. ऐसे में नाले की सफाई या मरम्मत का काम हो ही नहीं सकता. हादसे के बाद कुछ कोचिंग संस्थानों को बंद करवा के दिखावा किया जा रहा है, ताकि वर्षों से चला आ रहा भ्रष्टाचार छिपा रहे.'
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