ओम बिरला ने संसदीय समितियों के प्रमुखों से कहा- समिति की बैठकों में नियमों का करें पालन
लोकसभा अध्यक्ष की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित समिति के कुछ सदस्यों ने इसके अध्यक्ष शशि थरूर के कामकाज के तरीकों पर आपत्ति व्यक्त की थी.
नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि समितियों की बैठकों के दौरान नियमों का सख्ती से पालन किया जाए. उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित समिति के कुछ सदस्यों ने इसके अध्यक्ष शशि थरूर के कामकाज के तरीकों पर आपत्ति व्यक्त की थी और उन्हें हटाने की मांग की थी .
बिरला ने संसदीय समितियों के प्रमुखों को लिखे पत्र में कहा कि संसदीय समितियां ‘मिनी संसद’ की तरह से काम करती हैं . ‘‘ ये (समिति) एक तरफ सरकार और संसद तथा दूसरी तरफ संसद और जनता के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करती हैं. ’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘ इसलिये यह जरूरी है कि संसदीय समितियां और सरकार सौहार्द के साथ काम करे ताकि लोगों के कल्याण के लक्ष्य को और प्रभावी ढंग से हासिल किया जा सके. ’’ समितियों की बैठकें आयोजित करने के लोकसभा के नियमों का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने खास तौर पर निर्देश 55 और नियम 270 का उल्लेख किया .
निर्देश 55 बैठकों की गोपनीयता के बारे में बताता है जबकि नियम 270 में समिति की ओर से व्यक्ति या दस्तावेज उपलब्ध कराने की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया है तथा कहा गया है कि अगर कोई ऐसा सवाल उत्पन्न होता है तब इसे स्पीकर के पास भेजा जाए और उनका फैसला अंतिम होगा .
नियम 270 में कहा गया है कि सरकार इस आधार पर दस्तावेज उपलब्ध कराने से मना कर सकती है कि इसका खुलासा करना देश के हित या सुरक्षा के लिये हानिकारक होगा.
समितियों की बैठकें आयोजित करने के लिये इन दो निर्देशों का हवाला देते हुए बिरला ने कहा, ‘‘ मेरा यह मत है कि भविष्य में संसदीय समितियों की बैठकें आयोजित करते समय इन सभी मुद्दों पर ध्यान दिया जा सकता है . मुझे विश्वास है कि आप भारत की संसद और भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये काम करना जारी रखेंगे और इस प्रकार हमारे संसद की गरिमा एवं प्रतिष्ठा को बढ़ायेंगे. ’’ उन्होंने इशारा किया कि चलन के अनुरूप, समिति कोई ऐसा मामला विचार के लिये नहीं लेती हैं जो मुद्दा अदालत में लंबित हो.
गौरतलब है कि बिरला के पत्र का महत्व ऐसे में बढ़ गया है जब शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसदीय समिति की बैठक 1 और 2 सितंबर को निर्धारित है.
बीजेपी सांसद एवं समिति के सदस्य निशिकांत दूबे ने हाल ही में थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी और यह दावा किया था कि वह इस मंच का इस्तेमाल राजनीतिक एजेंडे के लिये कर रहे हैं .
थरूर उस समय निशाने पर आए जब उन्होंने वाल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मद्देनजर फेसबुक इंडिया के अधिकारी को तलब करने की बात कही थी . रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सोशल मीडिया कंपनी कुछ सत्तारूढ़ राजनीतिकों पर नफरत फैलाने संबंधी भाषणों से जुड़े नियम लागू नहीं करता है.
दूबे ने इस संबंध में बिरला को पत्र लिखकर थरूर को हटाने एवं किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष नियुक्त करने का आग्रह किया था . बीजेपी के ही राज्यवर्द्धन राठौर ने भी कांग्रेस नेता पर समिति के काम को कमतर करने का आरोप लगाया था .
बहरहाल, समिति ने एक सितंबर को इंटरनेट सेवा निलंबित करने के मुद्दे पर गृह मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के अधिकारियों को बुलाया है. वहीं, 2 सितंबर को समिति ने सोशल मीडिया के दुरूपयोग को रोकने के लिये फेसबुक अधिकारियों को बुलाया है.
यह दोनों मुद्दा समिति में बीजेपी सदस्यों और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच विवाद का विषय रहा है.
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