Om Prakash Chautala Death: इनेलो सुप्रीमो और हरियाणा के पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला का निधन हो गया. 89 साल की उम्र में चौटाला ने गुरुग्राम में अपने आवास पर अंतिम सांस ली. ओम प्रकाश चौटाला देश के पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल के बेटे थे. ओमप्रकाश चौटाला चार बार हरियाणा के सीएम भी रहे. 


ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हुआ था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, 'पहले के जमाने में बाप से ज्यादा पढ़ा लिखा होना बेटे के लिए अच्छा नहीं माना जाता था.' इसलिए उन्होंने जल्द ही पढ़ाई छोड़ दी थी. हालांकि, जब वे 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान जेल में बंद थे तो उन्होंने 82 साल की उम्र में 10वीं और फिर 12वीं की परीक्षा पास की. 


ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक करियर 1968 में शुरू हुआ. वे पहला चुनाव अपने पिता देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़े थे. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. साल भर बाद हाईकोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने जीते हुए उम्मीदवार लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी. 1970 में इस सीट पर उपचुनाव जीतकर ओम प्रकाश चौटाला पहली बार विधानसभा पहुंचे. 


जब घड़ियों की स्मगलिंग में पकड़े गए चौटाला!

1978 में ओम प्रकाश के पिता देवी लाल हरियाणा के सीएम थे. चौटाला किसी समिट में शामिल होने बैंकॉक गए थे. वे जब भारत लौटे तो दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम ने उनके बैग की तलाशी ली तो करीब 4 दर्जन घड़ियां और 2 दर्जन महंगे पैन उनके बैग से मिले. तब खबर फैली कि देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला तस्करी में पकड़े गए. देवीलाल ने नाराज होकर ओम प्रकाश को घर से निकाल दिया. हालांकि, जब मामले की जांच हुई तो पता चला कि सीएम के बेटे होने के नाते ओम प्रकाश चौटाला को ये घड़ियां गिफ्ट में मिली थीं. ओम प्रकाश निर्दोष साबित हुए. इसके बाद उनके पिता ने उन्हें माफ कर दिया. 


देवीलाल केंद्र में गए तो बेटे को बनाया सीएम

1987 में लोकदल को हरियाणा में बहुमत मिला था. देवीलाल दूसरी बार सीएम बने. लेकिन दो साल बाद लोकसभा चुनाव में जनता दल की सरकार बनी और वीपी सिंह पीएम बने. इसके बाद देवीलाल केंद्र का हिस्सा बने और उन्हें डिप्टी पीएम बनाया गया. इसके बाद उन्होंने हरियाणा की कमान अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को सौंपने का फैसला किया. 


15 महीने में 3 बार दिया CM पद से इस्तीफा


- दिसंबर 1989 में ओम प्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के सीएम बने. तब वे राज्यसभा सांसद थे. सीएम बने रहने के लिए वे पिता की महम सीट से उपचुनाव में मैदान में उतरे. हालांकि, खाप पंचायतों ने इसका विरोध कर दिया. फरवरी 1990 में जब महम सीट पर वोटिंग हुई तो बूथ कैप्चरिंग हुई. चुनाव आयोग ने 8 बूथों पर दोबारा वोटिंग का आदेश दिया. दोबारा वोटिंग के दौरान हिंसा भड़क गई. इसके बाद चुनाव आयोग ने इस सीट पर चुनाव रद्द कर दिए. इसके बाद फिर फैली हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई. महम कांड संसद में उठा. इसके बाद गठबंधन के दबाव मे वीपी सिंह ने ओम प्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा. पहली बार वे सिर्फ साढ़े 5 महीने ही सीएम रहे. इसके बाद उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को सीएम बनाया गया. 


- कुछ दिन बाद ओम प्रकाश चौटाला दड़बा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. बनारसी दास को 51 दिन के बाद सीएम पद से हटा दिया गया. चौटाला दूसरी बार सीएम बने. लेकिन वीपी सिंह चाहते थे कि जब तक महम केस चल रहा है ओम प्रकाश सीएम न बनें. ऐसे में 5 दिन बाद ही चौटाला को सीएम पद छोड़ना पड़ा. उनकी जगह मास्टर हुकुम सिंह हरियाणा के सीएम बने. 


- उधर, नवंबर 1990 में राम मंदिर रथयात्रा को लेकर हुए विवाद के बाद वीपी सिंह की सरकार गिर गई. जनता दल के भी दो टुकड़े हो गए. चंद्रशेखर पीएम बने. उन्होंने देवीलाल को डिप्टी पीएम बनाया. देवीलाल ने चार महीने बाद मार्च 1991 को ओम प्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का सीएम बनाया. हालांकि, इस फैसले से पार्टी के विधायक नाराज हो गए और कुछ विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. इसके चलते 15 दिनों में ही सरकार गिर गई और 15 महीने के भीतर चौटाला को तीसरी बार सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया.