सत्यपाल मलिक के बयान पर भड़के उमर अब्दुल्लाह, कहा- ‘वह सिर्फ नाम के सत्य हैं, काम के नहीं’
सत्यपाल मलिक ने कहा था- प्रधानमंत्री चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हों, लेकिन उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान के दबाव में चुनाव लड़ने से इंकार किया.
श्रीनगर: नेशनल काफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर कहा कि वह सिर्फ नाम के सत्य हैं, काम के नहीं. उमर अब्दुल्ला ने सत्यपाल मलिक पर “अकसर झूठ बोलने” का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपने नाम के अनुरूप व्यवहार नहीं करते.
उमर अब्दुल्लाह ने ट्विटर पर क्या लिखा है?
उमर अब्दुल्लाह ने ट्विटर पर लिखा, “सिर्फ नाम का सत्य, काम का नहीं. वह कभी झूठ बोलते नहीं थकते. पांच अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर के लोगों से झूठ बोला और अब भी झूठ बोल रहे हैं. राजभवन की दीवारों के पीछे मानहानि के वाद से महफूज होने की वजह से वह कुछ भी कहने की हिम्मत कर रहे हैं. जब वह राज्यपाल न हों तब यह सब कहें और देखें.”
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “आम तौर पर मैं उनकी निरर्थक बातों का जवाब नहीं देता लेकिन तब कुछ लोग यह मानने लगते हैं कि वह सच कह रहे हैं, मैंने जाना कि उनके झूठ को झेलना मुश्किल है इसलिए मैं उनके झूठ को भी नजरअंदाज नहीं करता.”
Only naam ka satya not kaam ka. He never tires of lying. Lied to people of J&K before 5th August & lying now. Hiding behind walls of Raj Bhavan protected from defamation suits so feels emboldened to shoot his mouth off. Let him say all this when he is no longer governor & see. https://t.co/q25xR1526V
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 23, 2020
सत्यपाल मलिक ने क्या दावा किया था?
दरअसल सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘’मैं प्रोटोकॉल भंग कर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मिलने उनके घर पर गया था. प्रधानमंत्री चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हों, लेकिन इन दोनों नेताओं ने पाकिस्तान के दबाव में चुनाव लड़ने से इंकार किया. आतंकियों ने भी धमकी दी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए.’’
गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक जम्मू कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे हैं. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था. जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन के बाद गोवा के राज्यपाल बने थे.
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