PSA के तहत उमर अब्दुल्ला की हिरासत को बहन सारा पायलट ने SC में दी चुनौती
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया था.5 अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के साथ ही इसे दो केंद्र शासित हिस्सों में बांट दिया था.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखे जाने के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की है, जिसपर शीर्ष अदालत विचार करने के लिए सहमत हो गई है.
सारा ने उमर को पांच फरवरी को पीएसए के अंतर्गत रखने के आदेश को असंवैधानिक बताया और कहा कि यह मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है. सारा अब्दुल्ला ने अपनी याचिका में कहा, "जब उनके भाई रिहा होने वाले थे तो याचिकाकर्ता को अचानक से उनके जन सुरक्षा कानून (जिसमें उनके पिता फारुक अब्दुल्ला भी हिरासत में हैं) के प्रावधानों के अंतर्गत फिर से हिरासत में रखे जाने का पता चलता है. उमर पिछले कई महीनों से पूरी तरह बंद राज्य में हिरासत में हैं."
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) लगा दिया गया है. सरकार के इस फैसले के बाद दोनों नेताओं की नजरबंदी और बढ़ जाएगी. अब बिना ट्रायल के दोनों नेताओं को तीन महीने तक जेल में रखा जा सकता है. इससे पहले फारूक अब्दुल्ला पर भी पीएसए लगा दिया गया था. क्योंकि उन्होंने अपने प्रिवेंटिव डिटेंशन को चैलेंज किया था.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से दोनों नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था. दोनों को ही हिरासत में लिए छह महीने हो गए थे. इसे बढ़ाने के लिए सरकार ने पीएसए एक्ट लगा दिया. उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की एहतियातन हिरासत पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले छह फरवरी को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया. 5 अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के साथ ही इसे दो केंद्र शासित हिस्सों में बांट दिया था. इन लोगों की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार को खत्म हो रही थी.
PSA के तहत कुल 389 फिलहाल हिरासत में
बुधवार को सरकार ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत कुल 389 लोगों को फिलहाल हिरासत में रखा गया है. गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत 444 लोगों को हिरासत में लेने के आदेश जारी किए गए थे. रेड्डी ने बताया कि वर्तमान में पीएसए के तहत 389 लोग हिरासत में हैं.
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