Omicron In India News: क्या आने वाले वक़्त में कोरोना के खिलाफ वैक्सीन कारगर रहेगी? कोरोना वायरस के नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं और काफी बदलाव हो रहे हैं. वहीं वैक्सीन की इम्यूटिनिटी एस्केप करने की बात भी सामने आ रही है. ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या लगाए जा रहे टीके कारगर हैं और क्या आगे भी कारगर रहेंगे? जानकारों की मानें तो अगर वायरस में बहुत ज्यादा बदलाव हो जाए, इतना कि वो पूरी तरह से नया हो जाए, तो संभव है कि वो वैक्सीन इम्युनिटी एस्केप कर सकती.
पिछले साल सामने आए कोरोना वायरस में अब तक कई बदलाव हुए, इसके कई वेरिएंट सामने आए हैं. जैसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और हाल ही में ओमिक्रोन. जानकारों और वैज्ञानिकों के मुताबिक आरएनए वायरस में म्यूटेशन होते रहते हैं और ये जारी रहता है. लेकिन क्या वायरस में म्यूटेशन के बाद वो वैक्सीन भी असरदार होगी. क्या वैक्सीन से बनी रोगप्रतिरोधक या एंटीबॉडी वायरस के खिलाफ काम करेंगी. हाल ही सामने आए ओमिक्रोन जिसे डब्लूएचओ ने वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया और जिसमें अब तक कई बदलाव हुए हैं. क्या वैक्सीन इस वेरिएंट के खिलाफ इतना कारगर होगी.
अब तक के डेटा के आधार पर ओमिक्रोन वेरिएंट में सबसे ज्यादा स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव हुआ है और चिंता इस बात को लेकर है कि अगर स्पाइक प्रोटीन बिल्कुल बदल जाए तो, अधिकांश टीके से शरीर में बना एंटीबॉडी उसको पहचान ही न पाए. चिंता इसलिए क्योंकि ज्यादातर वैक्सीन इन्हीं स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ बनी है. ऐसे में इसकी संभावना है.
एम्स में IPHA के अध्यक्ष डॉक्टर संजय राय का कहना है, "ये संभव है, जैसा इन्फ्लूएंजा में होता उसमें नया वेरिएंट आ जाता है तो पुराना वैक्सीन असरदार नहीं रहता है, क्योंकि म्यूटेशन होते रहते हैं. आरएनए वायरस में म्यूटेशन होते रहते हैं. ओमिक्रोन में काफी म्यूटेशन है और खासकर स्पाइक प्रोटीन में, ज्यादातर वैक्सीन जो है, वो इस स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है. हो सकता है स्पाइक प्रोटीन में इतना ज्यादा बदलाव हो गया हो कि मौजूदा एंटीबॉडी जो वैक्सीन से बनी है वो वायरस को ना पहचाने और वैक्सीन पूरी तरह बेअसर हो जाए. अभी जो केस आए हैं, डबल नहीं ट्रिपल वैक्सीनटेड लोग जिन्हें बूस्टर डोज लगा था, उनमें भी ये केस पाए गए हैं, तो ये दर्शाता है कि इम्यून एस्केप होने के काफी संभावनाए हैं. अभी और एविडेंस जेनेरेट करने की जरूरत है, लेकिन इम्यून एस्केप होने के संभावना हैं."
एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन में डॉक्टर पुनीत मिश्रा ने कहा, "कोई ऐसा म्यूटेशन होता है जो, इम्युनिटी को एस्केप कर जाता है, तो वर्तमान की वैक्सीन पूरी तरह असरदार ना हो, कुछ तो कम हो या बिल्कुल ना हो, इसकी संभावना जरूर बनी रहती है."
यानी ये संभावना है कि वायरस में हुए इतने म्यूटेशन वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी को एस्केप कर जाए. वैक्सीन की एंटीबॉडी वायरस को पहचान नहीं पाए, हालांकि इसपर अभी और डेटा आना बाकी है.
पुनीत मिश्रा ने बताया कि जब कोई नया स्ट्रेन आता है तो कई सारी चीजें हो सकती हैं. हो सकता है कि वायरस बहुत ज्यादा तेज़ी फैले या बहुत लोगों को हो जाए. लेकिन कोई लक्षण ना हो. और जहां तक इम्यूनिटी एस्केप करने की बात है वह भी संभावना है कि वायरस के अंदर जो बदलाव हो उस पर अभी तक की वायरस पर बनी वैक्सीन ही असरदार हो जाए, लेकिन यह निर्भर करता है कि कितने सारे म्यूटेशन हुए हैं."
एम्स में कम्युनिटी मेडिसीन के डॉक्टर और कोरोना वैक्सीन के एम्स में प्रिंसीपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय के मुताबिक जब वैक्सीन का ट्रायल हुआ उस वक्त म्यूटेशन नहीं हुए थे और वैक्सीन बहुत कारगर थी, लेकिन डेल्टा वेरिएंट में उतनी कारगर नहीं साबित हुई. पूरी दुनिया में केस बढ़े थे. लेकिन ज्यादा म्यूटेशन नहीं था. इसलिए वैक्सीन काम कर रही थी और गंभीर बीमारी और मौत रोकने में कामयाब रही.
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर संजय राय ने कहा, "अगर ये बिल्कुल बेअसर है तो वैक्सीन को नए वेरिएंट के खिलाफ बनाएंगे तो असरदार होने की संभावना है. जैसे वुहान के वेरिएंट के खिलाफ बनाया और क्लीनिकल ट्रायल जब हमने किया तो अच्छा असर था, लेकिन वो असर डेल्टा में कम हो गया. किसी भी देश का देख लीजिए."
ओमिक्रोन में डब्लूएचओ के मुताबिक 30 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं और सभी स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं. 77 देशों में ओमिक्रोन वेरिएंट की मौजूदगी है और माना जा रहा है कि इसका फैलाव लगभग तमाम देशों तक जा पहुंचा है. ऐसे में जब कई लोगों को वैक्सीन लग चुकी और अगर ये इम्युनिटी को बायपास कर रहा है तो चिंता है. हालांकि जानकारों के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो वैक्सीन में म्यूटेशन के हिसाब से बदलाव किए जा सकते हैं और ये बहुत जल्द संभव है. डॉक्टर संजय राय ने कहा कि वैक्सीन में अगर बदलाव करना हुआ तो म्यूटेशन के हिसाब से किया जा सकता है और इसमें समय भी नहीं लगेगा. कई कंपनी जैसे फाइजर मॉडर्ना पहले ही बोल चुकी है. डॉ पुनीत मिश्रा ने कहा, "अब ऐसी तकनीक है कि ज्यादा वक्त नहीं लगेगा कम समय मे ऐसा किया जा सकता है."
अगर वायरस में हो रहे बदलाव वैक्सीन की इम्युनिटी को एस्केप कर रहे हैं तो वैक्सीन में भी उतनी जल्दी बदलाव हो सकता है, जैसा कि इन्फ्लूएंजा में होता है. जिसके बाद अगर कोई बूस्टर वैक्सीन की जरूरत होगी तो उसपर उस समय मौजूद डेटा के आधार पर फैसला लिया जाएगा.