कोविड-19 के नए वेरिएंट 'ओमिक्रोन' (Omicron Varient) ने सरकारों की चिंता बढ़ा दी है.  इस बीच संसदीय समिति (Parliamentry Panel) ने कोरोना टीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन और वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत की जांच के लिए ज्यादा रिसर्च की सिफारिश की है. स्वास्थ्य पर संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ‘इम्यूनोस्केप’ सिस्टम डेवेलप कर रहे नए वेरिएंट से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए.


कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुए जानमाल की नुकसान के मद्देनजर समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सार्स-कोव-2 के प्रसार पर अंकुश लगाने या रोकने के लिए किए गए उपाय पूरी तरह से नाकाफी साबित हुए हैं. समिति ने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, बिस्तरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर देने को कहा है. तीसरी लहर के खतरे के मद्देनजर सरकार को इस समय का इस्तेमाल सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में करना चाहिए.


समिति ने पाया कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण सुविधाओं में सुधार की सख्त जरूरत है. इसने राज्यों में वीआरडीएल के साथ पीएचसी/सीएचसी के बीच कॉर्डिनेशन करने की भी सिफारिश की है. पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए संभावित संक्रामक लोगों का समय पर पता लगाना और उन्हें अलग-थलग करना बहुत जरूरी है. इसलिए टेस्ट की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.'


इसके अलावा, समिति की अन्य सिफारिशों में सरकार को अधिक टीकों को मंजूरी देना, वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाना, सप्लाई बढ़ाना और टीकाकरण दर में इजाफे के साथ वैक्सीनेशन प्रोग्राम को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाना शामिल है.


समिति ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर के चरम के लगभग छह महीने बाद आई, लेकिन भारत का जांच संबधी बुनियादी ढांचा 'बेहद कमजोर और अत्यधिक अपर्याप्त' रहा. समिति ने महामारी की तैयारियों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए आवंटित 64,179.55 करोड़ रुपये के इस्तेमाल के संबंध में 'कार्य योजना' से भी अवगत कराने की मांग की है.


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