Omicron Variant News: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर पूरी दुनिया चिंता में है. WHO ने इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न कहा है. ऐसे में कितना घातक या खतरनाक है ये वैरिएंट और क्या कुछ जानकरी इसके बारे में अब तक है. इसको लेकर आईसीएमआर के वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट डॉ समीरण पांडा से एबीपी न्यूज़ ने बात की. 


सवाल: ओमिक्रोन के बारे में अब तक क्या कुछ जानकारियां मिल पाई हैं, कितनी तेजी से फैलता है और कितना संक्रमण कर सकता है?
 
जवाब: यह जो वेरिएंट या म्युटेंट कहिए ये सार्स कोविड का एक बदलता हुआ रूप है. इसके बारें में 9 नवंबर को पता चला और 24 तारीख को डब्लूएचओ ने बताया कि ये वेरिएंट ऑफ कंसर्न है. तो जैसे जैसे वक़्त आगे बढ़ेगा हमें और नई जानकारी मिलेगी. जब वायरस अपने आप को बढ़ाने की कोशिश करते हैं तो बदलाव होते हैं. छोटे बदलाव को शिफ्ट कहते हैं और बड़े बदलाव को ड्रिफ्ट. दवा चल रही है, वैक्सीन चल रही, वायरस खुद को बदल रहा है, जिसकी वजह से म्यूटेशन होता है. ये म्यूटेंट जल्द से जल्द फैल जाएगा या खतरा हो जाएगा ऐसी बात नहीं है. तो जिस तरह से जानकारी आई है दक्षिण अफ्रीका से वहां जो डॉक्टर ने देखा था पहले तो बहुत कम समय में केस परसेंटेज बढ़ जाता है, तो तेज़ी से वहां की आबादी में फैल रहा है. इससे ये इंडिकेशन मिलता है कि जल्द से जल्द फैल सकता है, लेकिन जो भी म्यूटेंट जल्द से जल्द फैलता है वो घातक है, ऐसी बात नहीं है. ऐसी सोच भी गलत है. इस वेरिएंट या म्यूटेंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन नोटिस हुआ है. तो ये ज्यादा ट्रांस्मिसबल है पर जरूरी नहीं की ये घातक हो.


सवाल: कहा जा रहा है कि वैक्सीन से बनी एंटीबाडी को भी पार कर लेता है और लोगों को संक्रमित कर रहा है?


जवाब: इसी विषय को लेकर चर्चा चल रही है. लैबोरेटरी बेस्ड म्यूटेशन जो देखने को मिला है. कुछ वैक्सीन है जो वायरस के एक स्पेसिफिक पार्ट के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने में मदद करता है, लेकिन बहुत सारी वैक्सीन जैसे कि कोवैक्सीन पूरे वायरस मारकर बनाई गई है. वैक्सीन मतलब एंटीजन प्रजेंट करते हैं, इम्यून सिस्टम को और इम्यून सिस्टम खुद को इसके लिए ट्रेन करता है. ताकि बाद में अगर कोई वायरस आए तो वायरस इसी तरह काम करे कि इम्यूनिटी को ट्रेन करते हैं कि अगर कोई वायरस आता है तो उसके लड़ने के लिए है. अलग-अलग प्लेटफार्म पर वैक्सीन बनी है, तो कौन सी वैक्सीन कारगर रहेगी या नहीं रहेगी यह वक्त ही बताएगा. तो अभी आतंकित होने की जरूरत नहीं है. तो मैं यह कहना चाहता हूं कि नया जो रूप है, वह भी एक ही तरीके से फैलता है, तो हम को भी उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए, सावधानी बरतनी चाहिए कड़ाई का पालन करना चाहिए.
 
सवाल: अगर मान लीजिए नई वैक्सीन लाने की बात होती है, वायरस पूरी तरह बदल गया तो कितने वक्त में एक वैक्सीन तैयार हो पाएगी?


जवाब: यह एक थियोरिटिकल सवाल है, लेकिन एमआरएनए वैक्सीन को हम जल्द से जल्द ट्वीक सकते हैं. जो एमआरएनए वैक्सीन बनाते हैं वह जल्द से जल्द कर सकते हैं और वही बता पाएंगे कि कितनी जल्दी मार्केट में ला सकते हैं. अभी यह सोच गलत है कि नया वेरिएंट आ गया है यह घातक साबित होगा. ऐसी बात नहीं है तो इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि ये वैक्सीन जो है या अलग अलग तरीके के हैं, एमआरएनए वैक्सीन किसी स्पेसिफिक पार्ट पर काम करता है, लेकिन उसको ट्वीक करना पड़ता है, तो जल्दी से ये हो सकती है, इसी तरह  को वैक्सीन होल किल्ड वायरस वैक्सीन बनी है. पहली डोज लगने के बाद दूसरी डोज की तारीख आ गई है, लेकिन लोग लेने नहीं जा रहे हैं, टाल रहे हैं. यह जो झिझक है या दुविधा है वह गलत है. आपको वैक्सीन की दूसरी डोज लगानी चाहिए क्योंकि उसके 14 दिन बाद इम्युनिटी आना शुरू होती है यह हमें करना ही है. 


सवाल: बूस्टर डोज़ की भी बात कर रहे हैं. क्या भारत में भी उसकी जरूरत है?


जवाब: ओमिक्रोन हो या दूसरा कोई म्यूटेंट वैरिएंट हो, उसी विषय को चर्चा करते हुए आप कह रहे हैं बूस्टर डोज या थर्ड डोज. तो वैक्सीन संक्रमण रोकने वाली वैक्सीन नहीं है, संक्रमण रोकना चाहते हैं तो आपको कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करना होगा. ये रोग संशोधित करनेवाली वैक्सीन है. 


सवाल: अभी तक कि जानकारी के मुताबिक क्या ये घातक है? 


जवाब: अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक अभी ये ज्यादा घातक नहीं है, जो बीमारी उधर हो रही थी वो बहुत माइल्ड है, लेकिन जो बुजुर्ग हैं, जिनको कोई और बीमारी है उसे भी माइल्ड होगा ऐसी बात नहीं है. इसलिए बहुत जरूरी है कि कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करें और वैक्सीन जरूर लगवाएं.


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