नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर है और शांति चाहता है पर अनावश्यक छेड़छाड़ किये जाने को ठीक नहीं समझता है. केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि देश एकजुट है और सैनिकों के साथ है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के एक सपूत ने भी चीन से हुए हालिया संघर्ष में सर्वोच्च बलिदान दिया है. हम सभी शहीद सैन्य अधिकारियों और सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय वर्चुअल बैठक बुलाई
हिंसक झड़प के बाद लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव बना हुआ है और इसी बीच भारत-चीन सीमा के हालात पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय वर्चुअल बैठक बुलाई है. ये बैठक आज शाम 5 बजे होगी. इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के अध्यक्ष शामिल होंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी होंगी शामिल
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन, नीतीश कुमार, मायावती, सीताराम येचुरी, डी राजा, चंद्रबाबू नायडू, जगनमोहन रेड्डी, चिराग पासवान शामिल होंगे. बता दें कि ममता बनर्जी ने बुधवार को ही कहा था कि इस समय वो राष्ट्र के साथ खड़ी हैं और सब मिलकर इस स्थिति से लड़ेंगे.
पिछले चार वर्षो में यह तीसरी बार सर्वदलीय बैठक होने जा रही है
देश की सीमाओं की सुरक्षा को लेकर खड़ी हुई चुनौती के मसले पर पिछले चार वर्षो में यह तीसरी बार सर्वदलीय बैठक होने जा रही है. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के दो दिन बाद ही केंद्र सरकार ने 16 फरवरी को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. तब गृहमंत्री की हैसियत से राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे.
वहीं, इससे पहले 18 सितंबर 2016 को कश्मीर के उरी में सेना के कैंप पर भीषण आतंकी हमला हुआ था. दो दशक में पहली बार हुए इस तरह के आतंकी हमले में 18 जवानों के शहीद होने पर भी देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. तब भी सर्वदलीय बैठक हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता भी तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की थी. खास बात है कि पुलवामा पर सर्वदलीय बैठक जवाबी कार्रवाई एयर स्ट्राइक से पहले हुई थी, जबकि उरी हमले पर हुई यह बैठक 28 सितंबर 2016 को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के एक दिन बाद 29 सितंबर को हुई थी.
1962 के चीन युद्ध के बाद यह पहला मामला, जब सीमा पर ज्यादा संख्या में 20 सैनिक शहीद हुए
मगर, इस बार चीन से टकराव के बीच बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अहम बात है कि इसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे. सूत्रों का कहना है कि 1962 के चीन युद्ध के बाद यह पहला मामला है, जब सीमा पर ज्यादा संख्या में 20 सैनिक शहीद हुए हैं. इससे पहले 1975 में एलएसी पर हुई फायरिंग में 4 जवान मारे गए थे. ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह बेहद अहम मामला है. सरकार, विपक्ष को भी भरोसे में लेकर उसकी शंकाओं का समाधान करना चाहती है. चीन से बड़ी चुनौती होने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अहम बैठकों की कमान संभाले हुए हैं. यही वजह है कि इस बार की सर्वदलीय बैठक खुद प्रधानमंत्री लेंगे. जबकि उरी और पुलवामा की घटना के बाद तत्कालीन गृहमंत्री ने विपक्ष के नेताओं को संबोधित किया था.
कैसे हुई थी झड़प
15 जून की शाम जब कर्नल बी संतोष बाबू अपने जवानों के साथ विवादित जगह से चीनी टेंट हटवाने के लिए पहुंचे थे तो चीनी सैनिकों ने उनपर लाठी-डंडों, कील और कटीली तार लगी रोड्स से हमला बोल दिया था. क्योंकि कर्नल संतोष बाबू और उनके सैनिक बिना किसी हथियार के चीनी टेंट पहुंच गए थे इसीलिए चीनी सैनिक शुरुआत में उनपर हावी हो गए थे. लेकिन बाद में जब उनकी पलटन (16 बिहार) को खबर लगी तो बाकी भारतीय सैनिक भी वहां पहुंचें और जमकर मारपीट हुई.
झगड़े के दौरान बड़ी तादाद में सैनिक गलवान नदी में गिर गए थे जिसके चलते दोनों तरफ के बड़ी तादाद में सैनिक हताहत हुए. कर्नल संतोष बाबू सहित भारत के कुल 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए. हालांकि, चीन ने अपने मारे गए सैनिकों का आंकड़ा नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि चीनी सेना को भी बड़ा नुकसान हुआ है.
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