वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण तट से भारत और चीन की सेनाओं के हटने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई. चीन और भारत दोनों ही तरफ से इस बारे में आधिकारिक तौर पर बताया गया और यह कहा गया कि ऐसा नौंवे दौर की सैन्य स्तर की वार्ता में बनी सहमति के अनुरूप किया गया है. उधर, भारत-चीन सैनिकों की वापसी को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.


ओवीसी ने कहा- सरकार कैलाश रेंज पर भारतीय सैनिकों की रणीतिक पोजीशन के बारे में बताती रही. लेकिन अब यह स्पष्ट नहीं कर रहे कि आखिर हम वहां से क्यों हट रहे हैं? इस बारे में कुछ नहीं बताया जा रहा है. पेंगोंग के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन देमचोक, देपसांग के बारे में नहीं बता रहे हैं.


कांग्रेस का सरकार से सवाल


उधर, सैनिकों की वापसी को लेकर कांग्रेस ने सवाल करते हुए कहा कि मोदी सरकार और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यह नहीं बता रहें कि अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति कब बहाल हो जाएगी. कांग्रेस ने आगे कहा कि रक्षा मंत्री के आज के बयान के बाद लगता है कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कैलाश रेंज से पीछे हटना होगा. चीन इस जगह पर कमजोर स्थिति में है.


कांग्रेस ने कहा कि अप्रैल, 2020 ही वो महीना है जब चीन ने हमारी सीमा में लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ का दुस्साहस किया था. क्या प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, भारत की भूभागीय अखंडता की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी की संपूर्ण विफलता का कारण बताएंगे?  मोदी सरकार ने लगातार यह कहा है कि भारत चीन के बातचीत का आधार लद्दाख के सभी क्षेत्रों से चीनी सेना की वापसी होगा. क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि वो केवल पैंगोंग त्सो लेक इलाके से ही डिसइंगेज़मेंट का समझौता क्यों कर रही है?


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