Ruckus On WhatsApp Group: केरल में एक नया विवाद सामने आया है. केरल कैडर के कई आईपीएस अधिकारी 31 अक्टूबर यानि दिवाली वाले दिन एक नए व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल हुए, जिसका नाम ‘मल्लू हिंदू अधिकारी’ था. इस ग्रुप में कैडर के केवल हिंदू अधिकारी शामिल थे. इसे आईएएस अधिकारी के गोपालकृष्णन के फोन नंबर से बनाया गया था.
इस पर तुरंत आपत्ति जताई गई, कई अधिकारियों ने इसे अनुचित और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ पाया. व्हाट्सएप ग्रुप को एक दिन बाद ही डिलीट कर दिया गया, गोपालकृष्णन ने दावा किया कि उनका फोन हैक कर लिया गया था. उन्होंने कहा कि उनकी सहमति के बिना उनके संपर्कों का इस्तेमाल करके कई ग्रुप बनाए गए थे. पता चला है कि अधिकारी ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है.
सीनियर आईपीएस अधिकारी ने आरएसएस के लोगों से की थी गुप्त रूप से मुलाकात
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजित कुमार से जुड़े एक अन्य हाई-प्रोफाइल विवाद के बाद हुई है. कुमार को एडीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) के पद से हटा दिया गया था. दरअसल, पता चला था कि उन्होंने केरल में एलडीएफ सरकार की जानकारी के बिना कथित तौर पर आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों से गुप्त रूप से मुलाकात की थी.
हालांकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसे उनके तबादले का कारण नहीं माना है, लेकिन एलडीएफ सहयोगी सीपीआई की ओर से इस पर कड़ा रुख अपनाने के बाद कुमार को तबादला करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
‘धार्मिक आधार पर ग्रुप बनाना नई बात’
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "अधिकारियों के बीच कई व्हाट्सएप ग्रुप हैं, लेकिन धार्मिक आधार पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाना नई बात है." उन्होंने कहा कि जूनियर और सीनियर अधिकारियों के बीच अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप विभिन्न सेवाओं के लिए बनाए गए हैं और भाषा सहित विभिन्न विचारों पर आधारित अन्य ग्रुप भी हैं, लेकिन उनमें से कई बड़े पैमाने पर निष्क्रिय प्रकृति के हैं. हालांकि, धार्मिक आधार पर स्पष्ट रूप से बनाया गया एक ग्रुप अभूतपूर्व था.
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने भी खुलासा किया कि एजेंसी को कुछ अधिकारियों की ओर से ग्रुप के बारे में सतर्क किया गया था, जिन्हें इसमें जोड़ा गया था. इन अधिकारियों ने सबूत दिए, जिससे एजेंसी को मामले को गंभीरता से लेने और एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए प्रेरित किया. राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर खुफिया एजेंसियां अब मामले की जांच कर रही हैं.
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