India: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एशियाई शताब्दी वाले बयान पर चीन ने अपनी सहमति जताई है. चीन ने कहा है कि अगर दोनों पड़ोसी देश हाथ नहीं मिलाते हैं तो एशियाई शताब्दी संभव नहीं है. इसके साथ ही यह भी बयान जारी किया कि पूर्वी लद्धाख में सीमा गतिरोध को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच प्रभावी ढंग से बातचीत चल रही है. एस. जयशंकर ने बैंकॉक के प्रतिष्ठित चुलालांगकोर्न विश्वविद्यालय में ‘हिंद-प्रशांत का भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान दिया था. इसके बाद गुरुवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘एशियाई शताब्दी तब होगी. जब चीन और भारत साथ आएंगे. चीन ने सीमा पर जो गतिविधि की है. उसके बाद दोनों देशों के संबंध अत्यंत मुश्किल दौर में हैं.’
चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने दिया है बयान
एस. जयशंकर के बयान पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन और भारत के साथ न आने से एशियाई शताब्दी संभव नहीं है. उन्होंने कहा, ‘चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं, दो उभरती अर्थव्यवस्थाएं और दो बड़े पड़ोसी देश हैं. चीन और भारत के बीच मतभेद के मुकाबले कहीं अधिक समान हित हैं. दोनों एक दूसरे के लिए बेहतर हैं. दोनों को एक-दूसरे के लिए खतरा पैदा करने के बजाय एक-दूसरे को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए.
यह बोले थे एस जयशंकर
एस. जयशंकर ने चीन की आपत्ति पर कहा था कि क्वाड से पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को फायदा होगा. चार देशों के समूह की गतिविधियों को लेकर किसी भी तरह की आपत्ति एक तरह से सामूहिक और सहयोगात्मक प्रयासों का एकतरफा विरोध है. इस पर वांग ने जवाब दिया है, ‘क्वाड पर चीन की स्थिति स्पष्ट है. मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि शांति, सहयोग और खुलेपन की दुनिया में यदि कोई छोटे समूह बनाने का प्रयास करता है तो उसका कोई समर्थन नहीं किया जाएगा.’
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