किसानों के प्रदर्शन पर बोले शरद पवार- जल्दबाजी में पास हुआ बिल, अब सरकार को हो रही समस्याएं
शरद पवार ने कहा- जिस वक्त संसद में बिल पास कराया जा रहा है, हमने सरकार से यह अनुरोध किया था कि उन्हें जल्दबाजी नहीं करना चाहिए. इसे चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए और चर्चा की आवश्यकता है. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और बिल जल्दबाजी में पास करा दिया गया.
नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों पर किसानों के लगातार तेज होते जा प्रदर्शन और 8 दिसंबर को बुलाए गए 'भारत बंद' के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि केन्द्र सरकार ने संसद से इस बिल को पास कराने में जल्दबाजी दिखाई. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज सरकार को समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है.
रविवार को मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा- "हरियाणा और पंजाब के किसान मुख्य तौर पर धान और गेहूं का पैदावार करते हैं और वे प्रदर्शन कर रहे हैं. अगर स्थिति जल्द ठीक नहीं हुई तो हम देखेंगे कि देशभर के किसान इस प्रदर्शन में आकर शामिल हो जाएंगे."
पवार ने आगे कहा- जिस वक्त संसद में बिल पास कराया जा रहा था, हमने सरकार से यह अनुरोध किया था कि उन्हें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. इसे चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए और चर्चा की आवश्यकता है. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और बिल जल्दबाजी में पास करा दिया गया. अब सरकार इस जल्दबाजी के चलते मुश्किलों का सामना कर रही है.
When Bill was being passed, we'd requested govt that they shouldn't be in a hurry, it should be sent to Select Committee & a discussion is needed, but that didn't happen and the Bill was passed in haste. Now govt is facing problems because of that haste: Sharad Pawar, NCP Chief https://t.co/fZg7LaXSrU
— ANI (@ANI) December 6, 2020
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रांतों से आए किसानों का रविवार को ग्यारहवां दिन है. अब तक सरकार के साथ पांचवें दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकल पाया है. सरकार की तरफ से जहां प्रदर्शन को रोकने की अपील की जा रही है तो वहीं प्रदर्शनकारी किसान तीनों कानून की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.
किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. इस बंद का देश के कई राजनीतिक दलों ने समर्थन देने का ऐलान किया है. भारत बंद को तेलंगना राष्ट्र समिति, कांग्रेस, टीएमसी, वामपंथी दलों के साथ ही दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, आरजेडी के साथ करीब 10 ट्रेड यूनियनों ने अपना समर्थन दिया है.
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