नई दिल्ली: विपक्षी दलों और देश के कई राज्यों के किसानों के भारी विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को तीनों कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन गए हैं. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसे भारत के लिए काल दिन बताया है.


सुखबीर बादल ने कहा, “यह वास्तव में भारत के लिए एक काला दिन है कि राष्ट्रपति ने राष्ट्र के विवेक के रूप में कार्य करने से इनकार कर दिया है. हमें बहुत उम्मीद थी कि वह इन बिलों को संसद में पुनर्विचार के लिए लौटा देंगे, जैसा कि अकाली दल और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने मांग की थी.”






गौरतलब है कि इन कृषि विधेयकों का भारी विरोध हो रहा है. खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान इस बिल के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल भी इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं. यहां तक की एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलो का विरोध  करते हुए पहले सरकार और फिर एनडीए से बाहर जाने का फैसला कर लिया. बता दें शिरोमणि अकाली दल बीजेपी का सबसे पुराने सहयोगियों में से एक रहा है.


इससे पहले महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट ने कहा कि महाराष्ट्र में इन कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा. थोराटा ने कहा, "संसद द्वारा पारित बिल किसान विरोधी है. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं. महाविकास अघाड़ी भी इसका विरोध करेगी और महाराष्ट्र में इसे लागू नहीं होने देगी. शिवसेना भी हमारे साथ है. हम एक साथ बैठेंगे और एक रणनीति बनाएंगे."


यह भी पढ़ें:


किसानों के विरोध के बीच कानून बने तीनों कृषि विधेयक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किए हस्ताक्षर