नई दिल्ली: जैसे ही जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नियुक्त करने की खबर सामने आयी तो कांग्रेस के नेताओं ने एक के बाद एक इस नियुक्ति पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर आघात हमारे लोकतंत्र के सबसे व्यापक और जबरदस्त स्तंभ न्यायपालिका पर किया गया है. जो मैं कह रहा हूं या कांग्रेस पार्टी कह रही है, उसका किसी व्यक्ति विशेष से, जस्टिस गोगोई से कोई संबंध नहीं है. इसका संबंध है नीति से, सिद्धांत से और हमारे जो विरासत में और जो नियम 70 साल में अलग-अलग सरकारों ने, अलग-अलग लीडर्स ने, अलग-अलग प्रधानमंत्रियों ने बनाए थे, उन सिद्धांतों का उल्लंघन है.
कांग्रेस ने कहा, ''हमारे उपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं कि हमने भी पहले ऐसी ही नियुक्तियां की है वो सरासर ग़लत है. सोशल मीडिया और बीजेपी के नेता भी ऐसा आरोप लगा रहे हैं लेकिन अभी तक के इतिहास तीन में ही ऐसे मामले हैं. पहला जस्टिस रंगनाथ मिश्रा का उदाहरण दिया जाता है पर आपको साथ-साथ ये नहीं बताया जाता है कि मुख्य न्यायाधीश भारत के पद से पद छोड़ने के 6 वर्ष बाद वो राज्यसभा में आए.''
कांग्रेस ने आगे कहा,'' दूसरा उदाहरण है हिदायतुल्ला का, पहली बात तो वो उप राष्ट्रपति बने, राज्यसभा का उदाहरण नहीं है. दूसरा वो बने थे 9 वर्ष बाद और तीसरा उदाहरण दिया जाता है, जस्टिस बहरुलइस्लाम का, बहरुल इस्लाम 5 या 6 वर्ष पहले राज्यसभा के मैंबर थे, उसके बाद उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने. विपरीत उदाहरण है और वो भी 6 वर्ष के लिए लेकिन हमारी सरकारों के समय जो 9, 6 और 6 वर्षों में हुआ वो जस्टिस रंजन गोगोई कीनियुक्ति से बिल्कुल अलग है क्योंकि जस्टिस गोगोई को महज़ 4 महिने में राज्यसभा का पद दिया गया.