पाकिस्तान का अपनी धरती पर आतंकियों को पनाह देना यह बात दुनिया में किसी से छिपी हुई नहीं है. वह लगातार पैंतरेबाजी कर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करता रहता है. लेकिन, जब दुनिया की तरफ से बैन की आशंका होती है तो वह आनन-फानन में दिखावे के तौर पर कुछ आतंकी संगठनों पर झूठी कार्रवाई करने लग जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ है जकी-उर- रहमान लखवी के मामले में.


मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत ने टेरर फंडिंग मामले मे 15 साल कैद की सजा सुनाई है.


भारत ने जकी-उर-रहमान लखवी को सुनाई गई सजा पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार को इसे ‘हास्यास्पद’ करार दिया. विदेश मंत्रालय ने कहा- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन और घोषित आतंकवादी पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के भारत विरोधी एजेंडे को पूरा करने के लिए इस्लामाबाद के परोक्ष माध्यम के रूप में काम करते हैं.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- "महत्वपूर्ण बैठकों से पहले पाकिस्तान प्राय: हास्यास्पद कदम उठाता रहता है. पाकिस्तान की अदालत द्वारा लश्कर ए तैयबा के नेता जकी उर रहमान लखवी को सजा सुनाए जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह कदम एपीजेजी और एफएटीएफ की बैठक से पहले सोच-समझकर उठाया गया है."


गौरतलब है कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था जिसमें छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी. लश्कर ए तैयबा और अल-कायदा से जुड़े होने और ‘‘आतंकवाद के लिए वित्त पोषण, योजना, सहायता मुहैया कराने या षड्यंत्र रचने’’ की खातिर लखवी को संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2008 में वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था.


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