नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर उद्योग और मजदूर संगठन चाहे तो लॉकडाउन के 54 दिनों के वेतन को लेकर समझौता कर सकते हैं. कोर्ट ने यह आदेश उद्योगों की उस याचिका पर दिया, जिसमें इस अवधि का पूरा वेतन देने के सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने सरकार को इस अधिसूचना की वैधता पर 4 हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने को कहा है.


कई उद्योगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी. इस आदेश में लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए कहा गया था. कुछ उद्योगों का कहना था कि जब उत्पादन पूरी तरह से बंद है, तब मजदूरों को पूरा वेतन दे पाना संभव नहीं है. जबकि कुछ का कहना था कि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने के चलते उनके यहां काम तो हो रहा है लेकिन सभी मजदूर उस में हिस्सा नहीं ले रहे. जो मजदूर घर बैठे हैं, उनको काम करने वाले मजदूरों के बराबर वेतन नहीं दिया जा सकता.


सुप्रीम कोर्ट में मामला आने के बाद 17 मई को सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया. लेकिन उद्योगों को कहना था कि वह इस दौरान के 54 दिन के लिए पूरा वेतन देने में असमर्थ हैं.


मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के आदेश की वैधता पर भी सवाल उठे थे. कोर्ट ने कहा था कि इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के तहत विवाद की स्थिति में उद्योग को कर्मचारियों का 50 फ़ीसदी वेतन देने के लिए कहा जा सकता है. लेकिन सरकार ने सौ फ़ीसदी वेतन देने के लिए कह दिया. इस आदेश की वैधता की पड़ताल जरूरी है.


4 जून को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था, "29 मार्च का आदेश मजदूरों के हित को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया था. सरकार चाहती थी कि उन्हें बिना पैसों के गुजारा न करना पड़े. लेकिन अब अगर उद्योग और मजदूर संगठन पैसों के भुगतान को लेकर आपस में किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं, तो सरकार इसका विरोध नहीं करेगी."


आज कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा है कि 29 मार्च से 17 मई के बीच के 54 दिन की अवधि के लिए उद्योग और मजदूर संगठन आपस में समझौते की कोशिश कर सकते हैं. अगर उनके बीच किसी तरह का समाधान न हो पा रहा हो, तो श्रम विभाग की मदद ली जा सकती है. सरकार ने वेतन के पूरे भुगतान को लेकर जो आदेश जारी किया था, उसकी वैधता पर सुनवाई जरूरी है. इसलिए, सरकार इस पहलू पर हलफनामा दाखिल करे. मामले की सुनवाई जुलाई के आखिरी सप्ताह में होगी.


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