उल्लेखनीय है कि 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर के उस समय के महाराजा हरि सिंह और भारत संघ के बीच विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद इस पूर्व राज्य जम्मू-कश्मीर का भारत में आधिकारिक तौर पर विलय हुआ था.
क्यों मनाया जाता है इन्फैंट्री दिवस
गौरतलब है कि, भारत के आजादी के बाद 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर का देश के साथ आधिकारिक तौर पर विलय हुआ था. जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत में विलय के कागजातों पर हस्ताक्षर किए.
उसके बाद भारतीय सेना 27 अक्टूबर, 1947 को बडगाम हवाई अड्डे पर उतरी थी और इस दिन को ‘‘इन्फैंट्री दिवस’’ के रूप में मनाया जाता है. कुछ सालों बाद 1956 में इसे भारतीय संघ का हिस्सा भी घोषित कर दिया गया.
कार्यक्रम का होगा आयोजन
इस ऐतिहासिक दिन को प्रदर्शित करने के लिए 1947 के कुछ प्रमुख दृश्यों को फिर दर्शाया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा, ‘‘रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में ‘‘इन्फैंट्री दिवस’’ की 75वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इस दौरान सशस्त्र बलों के कई अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.’’
प्रोजेक्ट की करेंगे शुभारंभ
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ‘‘इन्फैंट्री दिवस’’ के मौके पर गलवां के श्योक पुल से जम्मू संभाग की 17 परियोजनाओं का 28 अक्टूबर को शुभारंभ भी करेगें. जिनमें कठुआ की सात शामिल हैं. कठुआ के हीरानगर इलाके के पहाड़पुर में भाग नाला पर 121 मीटर लंबे पुल का उद्घाटन भी करेंगे. जिस के बाद पंजाब आने-जाने का दूरी कम होगी.
पुल के शुरू हो जाने के बाद वहां के लोगों को अमृतसर जाने के लिए लखनपुर, माधोपुर, पठानकोट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि 50 किलोमीटर तक का सफर कम होगा. अब इस पुल से लोग पंजाब के तारा गढ़, गुरदासपुर से होते हुए सीधे अमृतसर जा सकते हैं.